KORIYA. बैकुंठपुर का जिला अस्पताल लगातार सुर्खियों में है। अब यह मरीज से इलाज के लिए पैसे मांगने के कारण सुर्खियों में आया है। मामले में अस्पताल अधीक्षक को निलंबित भी कर दिया गया है। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के इलाके में प्रशासनिक अधिकारियों को भी अस्पताल में लगाए जाने के बाद जिला अस्पताल की अव्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही है। इस पर अब कांग्रेस भी सवाल खड़े कर रही है ।
जिला अस्पताल जहाँ लोग इलाज करवाने के लिए इस उम्मीद से आते हैं कि उनकी परेशानी से उन्हें राहत मिल सकेगी। वहीं अगर अस्पताल में राहत की बजाय परेशानी मिले तो इसे क्या कहेंगे? जी हां हम बात कर रहे हैं बैकुंठपुर के जिला अस्पताल की जो प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के क्षेत्र का अस्पताल है।
मरीज कभी यहां कॉकरोच को लेकर तो कभी पानी को लेकर परेशान होते हैं। इतना ही नहीं घर से चादर और कूलर लाकर अपना इलाज करवाते हैं। सौ बिस्तर के अस्पताल में बेड की कमी है इसलिए मरीजों का इलाज वार्ड की बजाय बरामदे में किया जाता है। इसमें कई बार उन्हें फर्श पर भी बेड लगाकर इलाज कराना पड़ता है।
हाल ही में जो मामला सामने आया है, उसमें सड़क दुर्घटना में घायल युवक इलाज के लिए पन्द्रह हजार रुपए मांगने का आरोप परिजनों ने अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉक्टर राजेन्द्र बंसरिया पर लगाया था। बंसरिया अस्पताल अधीक्षक भी हैं। CMHO के प्रतिवेदन के बाद स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल अधीक्षक पर बड़ी कार्यवाही करते हुए उन्हें निलंबित भी कर दिया।
अस्पताल अधीक्षक डाक्टर राजेन्द्र बंसरिया के निलंबन के अगले दिन ही डाक्टर लामबंद हो गए( ओपीडी में कामकाज बन्द कर दिया। कलेक्टर को ज्ञापन देकर बिना किसी जांच के कार्यवाही करने की बात कही। कलेक्टर की समझाइश के बाद डाक्टर काम पर लौटे।
इधर देखा जाए तो जिला अस्पताल में 22 डाक्टरों की पदस्थापना है। लेकिन इलाके के भाजपा विधायक भैयालाल राजवाड़े भी डाक्टरों के काम करने के तरीके को लेकर नाराज हैं। उनका कहना है कि अस्पताल को रेफर सेंटर बना दिया है। कोई इलाज नहीं करना चाहता। वहीं कांग्रेस नेता योगेश शुक्ला का कहना है अस्पताल में डाक्टरों की मोनोपॉली चल रही है। स्वास्थ्य मंत्री अपने क्षेत्र को नहीं संभाल पा रहे है।
लगातार सुर्खियों में आने के कारण कलेक्टर विनय लंगेह ने अस्पताल में दो प्रशासनिक अधिकारियों की ड्यूटी भी लगाई है। बावजूद इसके अस्पताल की कार्यशैली में बदलाव आता नजर नहीं आ रहा है। देखना होगा कि स्वास्थ्य मंत्री अपने इलाके के इस अस्पताल का इलाज कब तक कर पाएंगे।