BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मासूम बच्ची से दुष्कर्म करने वाले आरोपी को पागलपन के आधार पर सजा से छूट देने अपील को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की बेंच में हुई। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि पाक्सो एक्ट के तहत आरोपी को उसके पागलपन के आधार पर सजा में छूट नहीं दी जा सकती है। अपराध किया है तो स्वाभाविक मौत होने तक कैद की सजा सुनाई है।
बता दें, राजनांदगांव जिला निवासी 6 वर्ष 5 माह की बच्ची अपनी बड़ी बहन व दोस्तों के साथ दोपहर को खेल रही थी। करीब 2.30 बजे घर के सामने रहने वाला युवक आंगन में लगे बिही के पेड़ से फल देने के लिए बुलाया और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया।
काफी देर तक बच्ची की बड़ी बहन घर आकर अपनी बड़ी मां को बताई। जब वह आरोपी के घर गई तो दखेी बच्ची दरवाजे के पास खड़ी थी। पूछने पर बच्ची ने आरोपी की हरकत की जानकारी दी। पीड़िता के माता-पिता जब शाम को घर वापस आए तो उन्हेंइसकी जानकारी दी गई।
तब माता-पिता ने मामले की रिपोर्ट थाने में दर्ज कराई। पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया। विशेष न्यायाधीश पाक्सो ने आरोपी को पाक्सो एक्ट में 20 हजार जुर्माना व स्वाभाविक मौत होने तक कैद की सजा सुनाई।
सजा के खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील की। अपील में कहा गया कि आरोपी निर्दोष है। झूठे मामले में फसाया गया है। वह बचपन से विकलांग व मानसिक रूप से कमजोर है।
उसके दिमागी कमजोरी के कारण सजा गलत है। अपील पर कोर्ट ने फैसला सुनाया और सबूतों के आधार पर अपील खारिज कर दी। विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट की सजा को जारी रखते हुए आजीवन कारावास की सजा कायम रहने का आदेश दिया।