BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत बनाई जा रही मल्टीलेवल पार्किंग में नियमों का पालन करने के बाद दुकानों का आवंटन फिर से करने के निर्देश दिए हैं। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की डिवीजन बेंच ने दुकानों का आवंटन रद्द करते हुए कहा कि आरक्षण नियमों के पालन के साथ बिल्डिंग का फायर सेफ्टी ऑडिट भी किया जाए। डिवीजन बेंच ने 19 जून को इस प्रकरण में फैसला सुरक्षित कर दिया था।
फैसला देते हुए बेंच ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार या उनके उपक्रम केवल इस आधार पर कि पैसे की कमी है, नियमों को बाइपास करके कोई कार्य नहीं कर सकते। फैसले में न्याय के इस सिद्धांत को भी प्रतिपादित किया गया जिसमें कहा गया है कि यदि कोई नियम या अधिनियम किसी कार्य को एक निश्चित तरीके से करने की बात कहता है तो वह कार्य केवल उसी तरह किया जाएगा अन्यथा किया ही नहीं जाएगा।
अर्थात यदि दुकानों के आवंटन के लिए 1994 का नियम लागू है तो वह स्मार्ट सिटी लिमिटेड पर भी लागू होगा, क्योंकि उसकी पैरेंट बॉडी नगर निगम है और राज्य सरकार उसमें अंश धारक है। दोनों ही संविधान के अनुच्छेद 12 के अनुसार राज्य की परिभाषा में आते हैं जिन पर यह नियम लागू करने का दायित्व है।
सामाजिक कार्यकर्ता नंदकिशोर राज और शनिचरी बाजार के व्यापारी महेश दुबे टाटा द्वारा जनहित याचिका दायर की गई थी। इसमें मल्टीलेवल पार्किंग के ग्राउंड फ्लोर में बनाई जा रहीं दुकानों के आवंटन में आरक्षण नियम लागू न करने, फायर सेफ्टी ऑडिट न होने, बिल्डिंग में वेंटिलेशन की परेशानी सहित अन्य मुद्दों को उठाया गया। वेंटिलेशन न होने के कारण आग लगने की स्थिति में यह बिल्डिंग आसपास के लिए भी खतरनाक साबित हो सकती है।
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब स्मार्ट सिटी लिमिटेड और नगर निगम को इन दुकानों का नए सिरे से आवंटन करने के लिए आरक्षण नियमों का पालन करते हुए पुनः नीलामी करनी होगी। इन आरक्षण नियमों के तहत एससी एसटी ओबीसी के अलावा महिला दिव्यांग स्वतंत्रता सेनानी पूर्व सैनिक आदि कई ऐसी श्रेणियां शामिल हैं जिन्हें सरकार के सहयोग और समर्थन की आवश्यकता होती है। यह नीलामी बिल्डिंग का फायर और सेफ्टी ऑडिट करने के बाद की जाएगी।
याचिका में कहा गया है कि बिलासपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड केवल एक्जीक्यूटिव एजेंसी है। यह राज्य सरकार और बिलासपुर नगर निगम के अधीन संपत्ति को सीधे तौर पर बेचने के लिए अधिकृत नहीं है। साथ ही अगर निगम के माध्यम से स्मार्ट सिटी लिमिटेड किसी संपत्ति का विक्रय करता है तो उसको शासन के सभी नियमों और मापदण्डों का पालन करना होगा।