BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि रेरा के दायरे में वे प्रोजेक्ट भी आएंगे जिन्होंने एक्ट से पहले पूर्णता प्रमाण पत्र नहीं लिया है। कोर्ट ने कहा कि एक्स से पहले के प्रोजेक्ट पर भी रेरा प्राविधान लागू होंगे। कोर्ट ने गोल्ड ब्रिक्स और तनु कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि यदि कोई व्यक्ति मकान या फ्लैट बुक करता है और अंतिम किश्त देने के बाद प्रोजेक्ट पूरा होने का इंतजार करते हुए मूकदर्शक नहीं बनकर नहीं रह सकता है।
बता दें, अतीत अग्रवाल नंदकिशोर पटेल व अन्य ने रायपुर में कंस्ट्रक्शन कंपनियों में फ्लैट बुक कराया था। कुछ लोगों ने प्लाट लिए जहां कंपनी को मकान बनाकर देना था। कुछ ने एग्रीमेंट के बाद कई किस्त का और कुछ ने पूरा भुगतान भी कर दिया है। लोगों से एडवांस की राशि लेने के बाद भी कंस्ट्रक्शन कंपनी ने काम ही प्रारंभ नहीं किया। साथ ही आवश्यक सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं कराई।
जो लोग मकान बनवाना चाहते थे उनसे विकास शुल्क की मांग की। इसके बाद प्रभावित लोगों ने रेरा के तहत कार्रवाई के लिए प्राधिकरण में आवेदन किया। न्यायाधिकरण ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद रेरा ने कंपनी के लोगों से ली गई रकम को ब्याज सहित वापस करने निर्देश दिए। रेरा ने इसके लिए दो महीने का समय दिया। राशि लौटाने के बाद कंस्ट्रक्शन कंपनियों ने रेरा के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। डिवीजन बेंच ने सुनवाई के बाद रेरा के फैसले को सही ठहराते हुए कंस्ट्रक्शन कंपनियों की याचिका खारिज कर दी है।
कोर्ट ने कंपनियों के तर्क में जताई असहमति
हाईकोर्ट में सुनवाई करते हुए जस्टिस गौतम भादुड़ी व जस्टिस संजय एस अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने कंपनियों के तर्क से असहमति जताई और कहा कि फ्लैट या मकान बुक कर अंतिम किस्त जमा करते तक कोई भी व्यक्ति मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकता है।
क्या है RERA
रेरा का पूरा नाम रियल स्टेट अधिनियम 2016 है। रेरा को भारत के अब तक असंगठित और अनियमित रियल स्टेट क्षेत्र को विनियमित करने के लिए तैयार किया गया था। एक कुशल नियामक के अभाव में घर खरीदारों और डेवलपर्स के बीच झगड़े और विवादों की घटनाएं बढ़ रही थी। 2016 का रेरा अधिनियम रियल स्टेट डेवलपर्स, घर खरीदारों, रियल्टी एजेंटों और अन्य रियल एस्टेट क्षेत्र के हितधारकों को चिंताओं और शिकायतों को दूर करने के लिए लागू किया गया था। रेरा अधिनियम लागू होने के बाद घर खरीदारों द्वारा रोरा अनुमोदि परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जा रही है। 500 वर्ग मीटर से अधिक की सभी रियल एस्टेट परियोजनाओं को संबंधित रेरा अधिकारियों के साथ पंजीकृत होना चाहिए। इसके अलाव प्रत्येक बिल्डर को घर खरीदार को निर्माण की प्रगति के बारे में सूचित करना होगा। समयसीमा का पालन करना होगा और रेरा अधिनियम में बताए गए नियमों का पालन करना होगा।
क्या है RERA के नियम
रेरा नियमों के अनुसार आपको संपत्ति के लिए कालीन क्षेत्र या दीवारों से घिरे क्षेत्र के आधार पर भुगतान करना होगा। बिल्डर्स आपसे सुपर बिल्ट अप एरिया के लिए शुल्क नहीं ले सकते। इसमें लिफ्ट, बालकनी, सीढ़ियां और लॉबी शामिल है। बिल्डरों को घर खरीदारों से लिए गए पैसे का 70 प्रतिशत एक अलग बैंक खाते में रखना होगा।