BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में रेरा एक्ट के खिलाफ बिल्डर कंपनी ने याचिका दायर की थी। जिसकी सुनवाई करते हुए कोर्ट ने याचिका का खारिज कर दिया है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय एस अग्रवाल की बेंच में हुई। कोर्ट ने कहा कि रेरा के प्रावधान एक्ट लागू होने से पहले शुरू हुए प्रोजेक्ट पर भी लागू होंगे। जिनमें पूर्णता प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है। कोर्ट ने कहा कि मकान या फ्लेट बुक कराने के बाद कई किस्त देने वाले लोग प्रोजेक्ट पूरा होने का इंतजार करते हुए मूकदर्शक नहीं बनकर रह सकते।
बता दें, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में रेरा के आदेश के खिलाफ लगाई गई कंपनी की याचिका को खारिज किया है। रायपुर सहित अन्य जगहों पर रहने वाले नंदकिशोर पटेल, तुलावति कश्यप, चंद्रकिरण ओगर, आरटी वानखेड़े, मनोज कुमार लहरे, संजीव नीलम प्रताप, सुविरा दास, प्रियंका सिंह, मनीषा सिंह सहित कई लोगों ने रायपुर के तनु कंस्ट्रक्शन में वन बीएचके का फ्लैट बुक करवाया।
वहीं कुछ लोगों ने प्लाट खरीदे। जहां कंपनी को मकान बनाकर देना था कुछ ने एग्रीमेंट के बाद कई किस्त का भुगतान भी किया। वहीं कई लोगों ने पूरी रकम का भुगतान भी कर दिया, लेकिन कंपनी ने काम ही शुरू नहीं किया।
इसके बाद प्रभावित लोगों ने रेरा को आवेदन दिया। रेरा ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कंपनी को लोगों से ली गई रकम को ब्याज के साथ दो माह के भीतर लौटाने के आदेश दिए थे।
कंपने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में बताया गया कि रेरा के अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन करते हुए आदेश जारी किया है।
पूरा भुगतान किए बगैर रेा में मामला नहीं प्रस्तुत किया जा सकता। कंपनी ने रेरा के आदेश को निरस्त करने की मांग की थी।
कंपनी ने काम के बजाए रेरा के खिलाफ लगाई याचिका
बिल्डर कंपनी ने अपना काम करने के बजाए रेरा के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर करते हुए तर्क दिया कि रेरा के पास अधिकार क्षेस ही नहीं है।
हाईकोर्ट ने कहा कि रेरा के प्रावधान ऐसे प्रोजेक्ट पर भी लागू होंगे जो एक्ट लागू होने से पहले शुरू किए गए थे और जिसमें पूर्णता प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है।