BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में स्माट सिटी योजना के तहत कोतवाली परिसर में 28.74 करोड़ की लागत से मल्टीलेवल कार पार्किंग के साथ ही काॅम्प्लेक्स बनाकर उसे नीलाम कर दिया गया है। इस मामले में दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने दुकानों के आबंटन में जानकारी राज्य सरकार व नगर निगम प्रशासन ने मांगी है।
बता दें, पुलिस विभाग के लिए मकानों के निर्माण के लिए धन राशि की व्यवस्था करने के लिए दुकानें निर्मित की गई हैं। हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की बेंच में हुई। कोर्ट ने राज्य शासन व निगम प्रशासन से पूछा कि मल्टीलेवल पार्किंग में सुरक्षा के क्या उपाय किए गए है।
याचिका में दुकानों के आबंटन में आरक्षण नियमों का पालन नहीं करने का आरोप लगाया गया है। इस मामले में स्मार्ट सिटी की ओर से महाधिवक्ता ने पक्ष रखा और कहा कि ये सरकारी कंपनी है और निगम द्वारा कंपनी को अधिकार दिए गए है। इसी के तहत निर्माण और दुकान आबंटन किया जा रहा है।
इस पर याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने तर्क किदया कि निगम को जो अधिकार हैं, उनके अनुसार भी दुकानों के आबंटन में आरक्षण का पालन करना चाहिए।
इसके अनुसार एससी, एसटी, ओबीसी, महिला, निःशक्तजन, शिक्षित बेरोजगार, पूर्व सैनिकों, स्वतंत्रता सेनानी को आरक्षण दिया जाना चाहिए। इस दौरान उन्होंने फायर आउटिंग का मुद्दा भी उठाया कि सुरक्षा के लिए यह बहुत जरूरी है। कोर्ट ने इस पर क्या किया जा रहा है, इसकी जानकारी मांगी है। मामले की अगली सुनवाई 10 अप्रैल को होगी।
नक्शा पास नहीं होने का आरोप
नंदकिशोर राज कार्यकर्ता गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और महेश दुबे टाटा ने याचिका के साथ कार पार्किंग और दुकानों के फोटोग्राफ भी लगाए हैं। जिससे कि दुकानों का कोई नक्शा पास नहीं है और कार पार्किंग में सभी वेंटीलेशन को बंद कर भूतल को अवैध रूप से दुकानों में परिवर्तित किया गया है।
इसके कारण अग्नि दुर्घटना की स्थिति में भारी जनधन हानि की आशंका है। याचिका में दुकानों का निर्माण बिना नक्शा पास किए और जमीन का स्वामित्व नहीं होने को भी चुनौती का आधार बनाया है।