BHOPAL. मध्य प्रदेश के बनखेड़ी ‘नर्मदांचल सुमंगल संवाद’ का आयोजन किया गया। इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत उपस्थित हुए। उन्होंने विकास की एक नई परिभाषा पर प्रकाश डाला।
विकास की भारतीय अवधारणा को समझाते हुए उन्होंने कहा कि मनुष्यता का विकास ही मनुष्य का विकास है। मनुष्य द्वारा केवल आर्थिक साधन और अधिकार को प्राप्त कर लेना विकास नहीं कहलाता।
यह आयोजन भाऊसाहब भुस्कुटे न्यास के तत्वावधान में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में ग्राम विकास तथा पर्यावरण को सुगम एवं सुरक्षित बनाने वाले 100 चयनित सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में सरसंघचालक डॉ. भागवत एवं निवर्तमान सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने ग्राम विकास, गौ संवर्धन, जल तथा पर्यावरण से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की और इसमें प्रयासरत संस्थाओं के कार्यों के को सुना और समझा।
सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कृषि का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि हमारे देश में खेती आवक का बहुत बड़ा माध्यम है। हजारों वर्षों से लोग खेती करते आ रहे है। किसानों के प्रयास से आज तक भारत भूमि कभी बंजर नहीं हुई। वही दूसरी ओर आज की पद्धति ने कई देशों की खेती भी उजाड़ दी है। हमारी संस्कृति में भी यही बताया गया है कि व्यक्ति का सुख परिवार के सुख से और परिवार का सुख गांव सुखी होने से है। इस लिए आपके गांव में खुशहाली का होना भी बहुत आवश्यक है। गांव जनपद के और जनपद राष्ट्र के सुख से सुखी होता है। हम सभी को अपनी पुरानी परंपरा का महत्व समझना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने नदी, भूमि और वृक्षों के महत्व और आवश्यकता को बताया।
संस्थाओं ने दी यह जानकारी
इस आयोजन में विभिन्न सामाजिक संस्थाओं ने भी हिस्सा लिया था। सभी ने अपने द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों की जानकारी दी। भाऊ साहब भुस्कुटे न्यास ने संस्कार, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वरोजगार, जैविक कृषि, पर्यावरण, गौ सेवा व संवर्धन आदि क्षेत्रों में किये जा रहे कार्यों तथा ‘मेरा गांव मेरा तीर्थ’ योजना की जानकारी दी।
इस आयोजन में राजगढ़ जिले के ग्राम झिरी, बासौदा जिले के ग्राम झूकरजोगी तथा दतिया जिले के भरसूला गांव के कार्यों की जानकारी भी प्रस्तुत की गई। इसके साथ की सामाजिक समिति हरदा एवं सिवनी मालवा की पर्यावरण जैविक कृषि समिति ने अपने स्तर पर किये जा रहे प्रभावी गौ संवर्धन, वृक्षारोपण, स्वरोजगार, जैविक कृषि तथा संस्कार पक्ष पर किये जा रहे कार्यों के बारे में बताया। वहीं, संस्था ‘नर्मदा समग्र’ ने नदी को जीवमान इकाई मानकर वैज्ञानिक पद्धति से किये जा रहे कार्यों तथा राष्ट्रीय–अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अभी तक किये गये प्रयासों पर वीडियो प्रस्तुति दी।