BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में 65 साल के बुजुर्ग ने आजीवन कारावास की सजा के फैसले को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बेंच में अपने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि पाॅक्सो एक्ट में केवल अनुमान लगाकर पीड़िता की विश्वसनीयता पर संदेही नहीं किया जा सकता। इस धारणा के आधार पर फैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती। डिवीजन बेंच ने 65 के दुष्कर्मी बुजुर्ग की याचिका को खारिज कर दिया है।
बता दें, बलौदाबाजार जिले के पलारी थाना क्षेत्र के 65 साल के बुजुर्ग गज्जू लाल फेकर ने 25 फरवरी 2022 को कक्षा पांचवी में पढ़ने वाली 13 साल की बालिका से दुष्कर्म किया था। बच्ची को वह घर में अकेली पाकर घुस गया और उसके साथ रेप किया था।
बच्ची ने इस घटना की जानकारी अपने परिजनों को दी थी। बाद में आरोपी के खिलाफ थाने में केस दर्ज कराया गया। इसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया। पुलिस ने उसके खिलाफ सबूत जुटाकर फास्ट ट्रैक कोर्ट में चालान पेश किया।
ट्रायल कोर्ट ने सभा पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आरोपी को पाॅक्सो एक्ट के तहत दोषी ठहराया। जिसके बाद उसे आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई। फास्ट ट्रैक कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए अभियुक्त ने हाईकोर्ट में अपील की इस दौरान उसके एडवोकेट ने पुलिस की जांच और जुटाए गए साक्ष्य पर सवार उठाए।
साथ ही पीड़ित के उम्र संबंधी दस्तावेजों को जुटाने की तरीके को भी गलत बताया। अपील में कहा गया कि उसे झूठा फंसाया जा रहा है। जिस लड़की के साथ दुष्कर्म होने की बात कही गई, वह मानसिक रूप से कमजोर है और उसकी विश्वसनीयता पर संदेह है।
अपीलकर्ता ने कोर्ट के फैसले को खारिज करने की मांग की। शासन की तरफ से अपीलकर्ता के विरोध में जांच के दस्तावेज पेश किए गए और गवाहों के बयान की भी जानकारी दी।
सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अपीलकर्ता के तर्कों पर महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि पाॅक्सो एक्ट के तहत केवल अनुमान और धारणाओं के आधार पर पीड़िता की विश्वसनीयता पर सवाल उठाकर संदेह नहीं जताया जा सकता।
डिवीजन बेंच ने फास्ट ट्रैक कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए अभियुक्त की सजा को बरकरार रखा है। साथ ही उसकी अपील खारिज कर दी है।