RAIPUR. पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह के तत्कालीन प्रमुख सचिव अमन सिंह को बड़ी राहत मिली है। दरअसल, प्रदेश में सरकार बदलते ही अमन सिंह और उनकी पत्नी यास्मीन सिंह के खिलाफ एसीबी-ईओडब्ल्यू में दर्ज आय से अधिक संपत्ति का केस खत्म हो गया है। कांग्रेस सरकार में दोनों पर आरोप लगाया गया था। चार साल की जांच में ईओडब्ल्यू को पति-पत्नी की आय से अधिक संपत्ति नहीं मिली। इसके बाद ईओडब्ल्यू ने 600 पन्नों की क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट में पेश की।
विशेष अदालत एसीबी-ईओडब्ल्यू निधि शर्मा तिवारी ने सुनवाई के बाद क्लोजर रिपोर्ट को मंजूर कर लिया है। 16 अप्रैल को उन्होंने अपना फैसला दिया और उन पर दर्ज केस को रद्द कर दिया। इससे पूर्व पीएस अमन सिंह और उनकी पत्नी को लोअर कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है।
दरअसल, रायपुर के उचित शर्मा ने पूर्व पीएस अमन सिंह और उनकी पत्नी यास्मीन सिंह के खिलाफ पद का दुरुपयोग करते हुए अधिक आय अर्जित करने की शिकायत की थी। कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करने के बाद दो साल पहले रद्द कर दिया था। ईओडब्ल्यू ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
इस उनकी शिकायत पर जांच करते हुए ईओडब्ल्यू ने 2020 में आय से अधिक संपत्ति का एफआईआर (09/2020) दर्ज किया। उसके बाद से उनके खिलाफ जांच चल रही थी। इस दौरान उन्हें हर माह बयान के लिए बुलाया जाता था। ईओडब्ल्यू दफ्तर में उनका बयान लिया जाता था। उन्होंने ईओडब्ल्यू की एफआईआर को बिलासपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2023 में हाईकोर्ट के आदेश को ही रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह वांछनीय है कि उच्च न्यायालय जांच के चरण में भ्रष्टाचार के मामले की एफआईआर को रद्द न करें, भले ही संदेह हो कि पिछली सरकार के अधिकारियों पर नई सरकार ने केस दर्ज कराया है। उसके बाद से ईओडब्ल्यू ने जांच तेज कर दी थी।
इसके बाद में आय से अधिक संपत्ति के प्रमाण नहीं मिलने पर क्लोजर रिपोर्ट पेश की गई। पूर्व पीएस अमन सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने पैरवी की थी। उन्होंने कोर्ट में आरोप लगाया था कि कांग्रेस सरकार ने दुर्भावनापूर्वक ईमानदार अधिकारी और उनकी पत्नी पर केस दर्ज किया है। इसमें कोई तथ्य नहीं है।
वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार के तहत एफआईआर का इस्तेमाल, एक ईमानदार अधिकारी अमन सिंह और उनकी पत्नी यास्मीन सिंह (एक प्रसिद्ध कलाकार) को गलत तरीके से निशाना बनाने के लिए किया गया था, जिससे उन्हें सजा भुगतनी पड़ी। कई वर्षों तक परीक्षण और क्लेश मिला। हालांकि, अदालत द्वारा उन्हें बरी किए जाने से आखिरकार न्याय मिल गया।