NEW DELHI. केंद्र सरकार ने दवा कंपनियों पर सख्ती बढ़ा दी है। केंद्रीय औषध विभाग ने देशभर की दवा कंपनियों, उनके एजेंटों और डॉक्टरों के लिए नियम जारी किए हैं। इसके मुताबिक दवा कंपनियां डॉक्टरों और उनके परिवार के लोगों को तोहफे या किसी तरह की दूसरी सुविधा नहीं दे सकेंगी।
फार्मास्युटिकल्स मार्केटिंग प्रैक्टिसेस 2024 के अनुसार, कंपनियां उन लोगों को दवा के मुफ्त सैंपल नहीं दे सकती, जो टेस्ट करने के लिए अधिकृत नहीं हैं। इसके साथ ही कोई भी दवा कंपनी या उसके एजेंट यानी वितरक, थोक विक्रेता, खुदरा विक्रेता किसी डॉक्टर या उनके परिवार के सदस्य और रिश्तेदारों को किसी तरह का लाभ नहीं पहुंचा सकते।
जारी गाइडलाइन के अनुसार मरीजों को कोई खास दवा देने के लिए किसी डॉक्टर को कोई ऑफर नहीं दे सकते हैं। कंपनियां डॉक्टरों और उनके परिवार के सदस्यों को सम्मेलनों, सेमिनारों, कार्यशालाओं आदि में भाग लेने के नाम पर रेल, हवाई जहाज, क्रूज टिकट, सशुल्क छुट्टियां आदि सुविधाएं नहीं दे सकतीं।
वहीं, फार्मास्युटिकल विभाग ने सभी दवा कारोबार से जुड़े सभी संगठनों और संघों से फार्मास्युटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिसेज के लिए नैतिक समिति का गठन करने को कहा है। दवाओं के नि:शुल्क नमूने किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं दिए जाएंगे जो ऐसे उत्पाद को लिखने के लिए योग्य नहीं है।
इसके अलावा प्रत्येक कंपनी को उत्पाद का नाम, डॉक्टर का नाम, दिए गए सैंपल की मात्रा, मुफ्त नमूनों की आपूर्ति की तारीख जैसे विवरण रखना होगा। इसके साथ ही वितरित सेंपल का मौद्रिक मूल्य प्रति वर्ष कंपनी की घरेलू बिक्री के दो प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।
नई गाइडलाइन में निर्देश दिया गया है कि फार्मा कंपनियों को सम्मेलनों, सेमिनारों, कार्यशालाओं में भाग लेने के लिए हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को यात्रा सुविधाएं नहीं देनी चाहिए, जब तक कि व्यक्ति वक्ता न हो। साथ ही फार्मा कंपनियों/प्रतिनिधियों को होटल में ठहरने, महंगे व्यंजन या रिसॉर्ट जैसी सुविधाएं नहीं देनी चाहिए।