BILASPUR. शासकीय जेपी वर्मा कालेज जमीन विवाद को लेकर दायर जनहित याचिका पर राज्य शासन ने जवाब पेश किया है। अतिरिक्त तहसीलदार बिलासपुर ने एसबीआर महाविद्यालय मैदान खरीदी मामले में पेश नामांतरण आवेदन को खारिज कर दिया है। शासन ने कोर्ट को बताया है कि जमीन खरीदने वालों ने कोर्ट के आदेश का सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया है, इसलिए नामांतरण आवेदन को खारिज करते हुए प्रकरण को नस्तीबद्ध कर दिया है। हाईकोर्ट द्वारा मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश भी जारी रहेगा।
बता दें, पूर्व के सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने जमुना प्रसाद वर्मा (एसबीआर) कालेज मैदान मामले में बड़ा फैसला सुनाया था। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा व जस्टिस नरेश कुमार चंद्रवंशी की बेंच ने अतुल बजाज की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि एसबीआर कालेज मैदान की जमीन की रजिस्ट्री का फैसला आने तक तत्काल रोका जाए।
कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर इस दौरान जमीन की रजिस्ट्री होती है तो उसे शून्य घोषित कर दी जाए। राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारी ने पक्ष रखते हुए जमीन की रजिस्ट्री पर रोक लगाने की मांग की। डिवीजन बेंच ने उनकी मांग को स्वीकार करते हुए रजिस्ट्री पर रोक लगा दी थी।
क्या है मामला जानें
शासकीय जमुना प्रसाद वर्मा स्नातकोत्तर महाविद्यालय के खेल मैदान के लिए 70 साल पहले ट्रस्ट ने जमीन दान में दी थी। ट्रस्ट ने इसे बेचने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जरहाभाठा स्थित शासकीय जमुना प्रसाद वर्मा कालेज में कला एवं वाणिज्य संकाय की पढ़ाई होती है। कालेज के सामने बिलासपुर-रायपुर नेशनल हाइवे पर 2.38 एकड़ जमीन है। इसे कालेज के विद्यार्थी खेल मैदान के रुप में उपयोग करते है।
उक्त जमीन को शिव भगवान रामेश्वर लाल चैरिटीबल ट्रस्ट ने 70 साल पहले खेल मैदान के रुप में उपयोग करने दान में दिया था। ट्रस्ट ने खसरा नंबर 107 3 रकबा0.40 हेक्टेयर व खसरा नंबर 108 3 रकबा 0.9222 हैक्टेयर जमीन का उपयोग खेल मैदान के रुप में हो रहा है। ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने वर्ष 2019 में बिलासपुर एसडीएम कोर्ट में आवेदन पेश किया था।
इसकी जानकारी के बाद कालेज खेल मैदान होने के चलते जमकर विरोध प्रदेर्शन हुआ। कालेज के छात्रों के अलावा शहर के कई संगठनों ने विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था। जिसके बाद उक्त खेल मैदान को बेचने की अनुमति एसडीएम ने रद्द कर दिया था। एसडीएम के फैसले के बाद शिव भगवान चैरिटिबल ट्रस्ट के ट्रस्टी कमल बजाज, चिराग बजाज, अनन्या बजाज ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर खेल जमीन को बेचने की अनुमति देने की मांग की।
ट्रस्टी को लेकर भी आपत्ति
इस मामले में ट्रस्टी परिवार के अन्य सदस्यों ने भी आपत्ति दर्ज करवाते हुए अदालत को बताया था कि ट्रस्ट को बायलाॅज में नियम है कि पिता के रहते पुत्र को ट्रस्टी है और उनका पुत्र चिराग बजाज भी ट्रस्टी है। चिराग बजाज के द्वारा ही ट्रस्ट की जमीन को बेचने के लिए रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट में लगाया था। हाईकोर्ट ने कहा कि वर्तमान में ट्रस्ट में ट्रस्टी कौन-कौन होगा इस मुद्दे पर यहां बहस नहीं हो रही है।