BILASPUR. सारंगढ़ उपजेल में बंदियों की पिटाई और आनलाइन उगाही के मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में डीजी जेल ने शपथ पत्र के साथ जवाब पेश किया। जवाब का अध्ययन करने के बाद हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने कहा कि यह साफ हो गया है कि बंदियों की स्थिति ठीक नहीं है। पूरे मामले की जांच और दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्रवाई का निर्देश दिया है। इसके साथ ही कार्रवाई के बाद पूरे मामले से डीजी जेल को अवगत कराने का निर्देश भी दिया है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल के डिवीजन बेंच में हुई।
बता दें, सारंगढ़ उपजेल में बंदियों से मारपीट व अवैध वसूली की बात सामने आने पर हाईकोर्ट ने डीजी जेल से जवाब मांगा था। मामले की सुनवाई के दौरान डीजी जेल ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कैदियों की सुरक्षा व उनकी हालात पर भी कहा।
कोर्ट ने जनहित याचिका की अगली सुनवाई के लिए छह सप्ताह बाद का समय तय कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि महानिदेशक जेल द्वारा दायर हलफनामे और रिर्पोट से ये साफ है कि उप जेल में कैदियों की स्थिति ठीक नहीं पाई गई और कुछ गतिविधियां ऐसी चल रही थीं जिससे जेल के कैदियों पर दबाव डाला गया और अवैध मांगे की गई।
जैसा कि जांच रिपोर्टों से पता चलता है। रिपोर्ट में बताया है कि मारपीट करने वाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई है और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है।
अन्य अधिकारियों जिनसे पैसों का लेन-देन हुआ था उन्हें भी निलंबित कर दिया गया है और विभागीय जांच के आदेश दे दिए गए हैं। घटना के बाद जेल अफसरों ने उप जेल का दौरा किया है और बंदियों का बयान भी लिया है।
जिला मजिस्ट्रेट को मिली थी शिकायत
जिला मजिस्ट्रेट सारंगढ़ को एक शिकायत प्राप्त हुई थी कि सहायक जेल अधीक्षक के साथ-साथ सारंगढ़ उप जेल के जेल कर्मचारियों ने भी पैसे वसूलने के लिए कैदियों के साथ मारपीट की थी। जिस पर जिला मजिस्ट्रेट सारंगढ़ ने जांच शुरू की।
जिसके आधार पर अपराध दर्ज किया गया। पुलिस थाना सारंगढ़ द्वारा पहले ही संदीप कश्यप, राजकुमार कुर्रे, मनेंद्र वर्मा एवं महेश्वर हिमाची के विरूद्ध आइपीसी की धारा 294, 323, 327, 334 384 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर लिया गया है।