BILASPUR.छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में गिरफ्तार के नियमों की अनदेखी कर पुलिस के द्वारा कार्रवाई करने का मामला सामने आया है। जिसमें जस्टिस संयज के अग्रवाल की बेंच ने सुनवाई करते हुए रायपुर के सिविल लाइन सीएसपी मनोज ध्रुव, दीनदयान नगर थाना प्रभारी गौरव साहू और इंस्पेक्टर दीपक पासवान को अवमानना का दोषी माना है। तीनों के खिलाफ आरोप तय किए जाएंगे। इसके लिए 9 फरवरी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के निर्देश दिए गए है।
बता दें, रायपुर में रहने वाले अमित जायसवाल ने 2 जून 2023 को पंडरी थाने में महादेव घाट के पास रहने वाले मनोज पांडेय के खिलाफ अवैध वसूली की शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने रात करीब 9.30 बजे आईपीसी की धारा 384 के तहत एफआईआर दर्ज की और कुछ देर बाद ही पांडेय को गिरफ्तार कर लिया।
उसे अगले दिन जेएमएफसी कोर्ट में प्रस्तुत किया गया। कोर्ट ने 16 जून तक आरोपी को रिमांड पर सौंपा। आरोपी ने 20 जुलाई 2023 को गिरफ्तारी के लिए सीआरपीसी की धारा 41(1)(बी)(2) के अंतर्गत तैयार की गई चेक लिस्ट की कॉपी देने की मांग की, लेकिन उसे बताया गया कि रिमांड फॉर्म के साथ ऐसी कोई चेक लिस्ट संलग्न नहीं है। इसके बाद आरोपी ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका लगाई।
इसमें कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने अरनेश कुमार के मामले में गिरफ्तारी के लिए प्रावधान तय किए है। इस प्रावधान का पालन करना अनिवार्य है। जबकि उसके मामले में प्रावधानों की जानबूझकर पालन नहीं किया गया है। बगैर वांरट और चेक लिस्ट तैयार किए बिना ही उसकी गिरफ्तारी करने के बाद रिमांड पर ले लिया गया है। इसके लिए दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अवमानना का मामला दर्ज करने की मांग की गई।
गिरफ्तारी में नियमों की हुई अनदेखी
गिरफ्तारी करने के बाद रिमांड पर लेने में पुलिस ने सीआरपीसी और सुप्रीम कोर्ट द्वारा अरनेश कुमार के मामले में दिए गए दिशा निर्देशों का पालन करना अनिवार्य माना है। लेकिन हाईकोर्ट ने माना कि इस मामले में गिरफ्तारी के नियमों की अनदेखी की गई है।
विचार के बिना रिमांड पर भेजा
हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी के नियमों की अनदेखी में पुलिस को तो कहा ही साथ ही मजिस्ट्रेट की कार्यप्रणाली पर भी टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने तीनों पुलिस अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से या अधिवक्ता के जरिए उपस्थिति सुनिश्चत करने के निर्देश दिए है।