BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का एक अहम फैसला आया है। दरअसल, हाई कोर्ट ने युवती समेत अन्य दो के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने की धाराओं के तहत तय किए गए आरोप को निरस्त कर दिया है। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि यदि कोई प्रेमी प्रेम में नाकाम होने पर खुदकुशी कर लेता है, कोई छात्र में परीक्षा में अपने खराब प्रदर्शन के कारण आत्महत्या कर लेता है या केस खारिज होने पर एक मुवक्किल आत्महत्या कर लेता है तो ऐसे में महिला, परीक्षक या वकील को आत्महत्या के उकसाने का दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।
दरअसल, राजनांदगांव पुलिस को 28 जनवरी 2023 को अभिषेक नरेडी नाम के युवक की लाश मिलने की सूचना मिली। पुलिस ने मर्ग कायम कर मामले की जांच की। पुलिस को इस दौरान सुसाइडल नोट मिला, जिससे पता चला कि युवक का एक युवती से करीब 5-6 साल से प्रेम संबंध था। अचानक युवती ने उससे संबंध समाप्त कर लिया और एक अन्य युवक से संबंध स्थापित कर लिया।
वहीं, दो युवकों ने उसे जान से मारने की धमकी की। इससे परेशान होकर युवक ने खुदकुशी कर ली। पुलिस ने जांच पूरी होने के बाद कोर्ट में चार्जशीट पेश किया। इस आधार पर राजनांदगांव के एडिशनल सेशन जज की कोर्ट ने युवती के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 के तहत आरोप तय किए। वहीं, दोनों युवकों के खिलाफ आईपीसी की धारा 306/34 के तहत आरोप तय किए गए। कोर्ट द्वारा आरोप तय करने के खिलाफ तीनों ने हाई कोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन प्रस्तुत किया था।
हाई कोर्ट ने आरोपों का कर दिया निरस्त
हाई कोर्ट ने माना कि युवती के प्रेम संबंध समाप्त करने और शादी करने से इनकार करने की वजह से व्यथित होकर युवक ने खुदकुशी कर ली। हाई कोर्ट ने जियो वर्गिस विरुद्ध राजस्थान शासन के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी का हवाला देते हुए इस मामले में युवती व दो युवकों की याचिका मंजूर करते हुए उनके खिलाफ दर्ज किए गए आरोपों को निरस्त कर दिया है।