BILASPUR.छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने उपपुलिस अधीक्षक के विरूद्ध वेतन वसूली मामले में रोक लगा कर राहत दी है। कोर्ट ने उप पुलिस अधीक्षक के खिलाफ जारी आदेश पर रोक लगा दी है। सेवा काल के दौरान पुलिस अधीक्षक द्वारा उनके विरूद्ध वेतन वसूली का आदेश इस आधार पर जारी किया कि पूर्व के वर्षों में उन्हें गलत तरीके से अधिक वेतन भुगतान कर दिया गया है। मामले की सुनवाई जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल की सिंगल बेंच में हुई। प्रकरण की सुनवाई के बाद जस्टिस चंदेल ने याचिकाकर्ता के खिलाफ वसूली आदेश पर रोक लगा दी।
बता दें, बिलासपुर निवासी सुशीला टेकाम कार्यालय पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) में उपपुलिस अधीक्षक (डीएसपी) के पद पर पदस्थ है। सेवाकाल के दौरान पुलिस अधीक्षक द्वारा विरूद्ध वेतन से वसूली का आदेश जारी किया गया। उक्त वसूली आदेश को चुनौती देते हुए डीएसपी सुशीला टेकाम ने अधिवक्ता अभिषेक पांडे व गीता देबनाथ के माध्यम से होईकोर्ट में रिट याचिका दायर की है।
अधिवक्ता अभिषेक पांडेय ने कोर्ट के समक्ष तर्क पेश किया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में वर्ष 2015 में स्टेट आफ पंजाब विरूद्ध रफीक मसीह व अन्य एवं वर्ष 2022 में थामस डेनियल विरूद्ध स्टेट आफ केरला एवं अन्य के वाद में यह महत्वपूर्ण निर्णय दिया गया है कि किसी भी शासकीय कर्मचारी जिसके सेवानिवृत्ति को एक वर्ष शेष है उन्हें अधिक वेतन भुगतान का हवाला देकर उनके वेतन से किसी भी प्रकार की वसूली नहीं की जा सकती है। याचिकाकर्ता 31 मार्च 2024 को सेवानिवृत्त होने वाली है। लिहाजा याचिकाकर्ता के विरूद्ध जारी वसूली आदेश नियम के खिलाफ है।
वेतन भुगतान के बाद वापस नहीं ले सकते
अधिवक्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा उक्त न्याय दृष्टांत में यह भी कहा गया है कि यदि किसी शासकीय कर्मचारी को संबंधित विभाग द्वारा पांच वर्ष पूर्व अधिक वेतन भुगतान किया गया है उस स्थिति में भी उनके किसी भी प्रकार की वसूली नहीं की जा सकती है। याचिकाकर्ता को पांच वर्ष पूर्व एक जुलाई 2009 से अधिक वेतन भुगतान किया गया है। अतः उक्त वेतन भुगतान की वसूली आज दिनांक को नहीं की जा सकती है।