BILASPUR. दिनों दिन बढ़ती अपराध को देखते हुए हाई कोर्ट ने इसे कंट्रोल करने के लिए एक बड़ा फैसला सुनाया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने द्वारा यह आदेश सुनाया गया है। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट में लगाई जाने वाली जमानत अर्जियों में अब आरोपी की क्रिमिनल हिस्ट्री भी दर्ज करना अनिवार्य होगा। यानी यदि इसके बगैर अर्जियों लगाई जाएगी तो वह मंजूर नहीं की जाएगी।
आपको बता दें हाई कोर्ट का यह आदेश इसी महीने के अंत यानी 30 अक्टूबर के बाद प्रभावी होगा। इस बड़े फैलाए को लेकर हाई कोर्ट ने महाधिवक्ता, डिप्टी सॉलिसिटर जनरल, हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव को पत्र जारी कर दिया है। इसमें वकीलों के लिए एक अलग सूचना भी जारी की गई है। आपको बता दें सीआरपीसी की धारा 439 अग्रिम जमानत रद्द करने से संबंधित है। इसके तहत लगाई जाने वाली जमानत अर्जियों में अब आरोपी की क्रिमिनल हिस्ट्री भी दर्ज कराना अनिवार्य होगा। बिना क्रिमिनल हिस्ट्री के जमानत आवेदनों को डिफॉल्ट मान लिया जाएगा।
इसके अलावा यदि व्यक्ति की कोई भी आपराधिक इतिहास नहीं है तो उसका जिक्र भी आवेदन में करना होगा। कही न कही इस आदेश के लागू होने से जमानत के मामलों पर अब देरी नही होगी। कई मामलों में आरोपी के आपराधिक हिस्ट्री का ब्योरा नहीं होता है। राज्य सरकार को नोटिस और जवाब आने तक मामले पर सुनवाई में देरी हो जाती है। इसे रोकने के लिए यह आदेश लागू किया गया है।
हर पहलू पर होगा विचार
सुप्रीम कोर्ट ने गाइड लाइन जारी करते हुए कहा कि किसी आरोपी की जमानत अर्जी पर व्यक्ति पर लगे आरोप, सजा की गंभीरता, आरोपी के आपराधिक इतिहास और सभी पहलुओं पर विचार करना आवश्यक होगा।