RAIPUR. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विश्व आदिवासी दिवस पर प्रदेश के आदिवासियों को उनका अधिकार दिलाने के लिए पर्यावास अधिकार देने की शुरुआत कर दी है. प्रदेश के कमजोर जनजाति समूह कमार को सबसे पहले पर्यावास अधिकार दिया गया है. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ राज्य देश का दूसरा राज्य बन गया है, जिसने जनजाति समूह को पर्यावास अधिकार दिया हो.
सीएम बघेल ने विश्व आदिवासी दिवस पर अपने निवास कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में धमतरी जिले के मगरलोड विकासखण्ड अंतर्गत स्थित मगरलोड पाली/उपक्षेत्र (परंपरागत क्षेत्र) के 22 कमार पारा/टोला के मुखिया को पर्यावास अधिकार का मान्यता पत्र दिया है.इस कार्यक्रम में आदिम जाति विकास मंत्री मोहन मरकाम, आदिम जाति विकास विभाग के सचिव डी.डी सिंह, आयुक्त शम्मी आबिदी के साथ कमार जनजाति के मुखिया शामिल हुए.
क्या है पर्यावास अधिकार
वन अधिकार अधिनियम 2006 की धारा 2 (ज) में पर्यावास अधिकार की परिभाषा दी गई है. इसके अनुसार पर्यावास अधिकार PVTG के परिवास क्षेत्र के अंतर्गत उनके पारंपरिक एवं रूढ़िगत सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और जीवन यापन के साधन से संबंधित इको सिस्टम पर पारंपरिक रूप से निर्भरता एवं जैव विविधता या पारंपरिक ज्ञान का ज्ञान का धिकार मान्य कर दिया जाता है. साथ ही उनके संरक्षण और संवर्धन हेतु उन्हें मान्यता भी प्रदान की जाती है. इस अधिकार को पाने से कमजोर जनजाति समूह और कमार जनजाति समुदाय की अन्य पालियों के लिए मार्ग दिखाने में सहायता करेगा। इसके अलावा जल्द ही ये अधिकार प्रदेश के और भी कमजोर जनजाति समूहों को देने की दिसुहा में प्रयास किया जा रहा है.
सामुदायिक वन संसाधन अधिकारों के लिए शुरू होगा जागरूकता अभियान
इस कार्यक्रम में सीएम बघेल ने आदिवसियों को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा आदिवासियों के अधिकार को संपन्न बनाने के लिए अनेक कार्य किए गए हैं. जैसे कि समर्थन मूल्य पर धान खरीदी, मिलेट्स की खरीदी के साथ व्यक्तिगत, सामुदायिक वन अधिकार पत्र, सामुदायिक वन संसाधन के अधिकार प्रदान किए गए हैं। छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है जहां आदिवासियों और वनवासियों को दी गई जमीन की ऋण पुस्तिका बनाई गई है. ऋण पुस्तिका बन जाने की वजह से पट्टेधारियों के लिए समर्थन मूल्य पर कृषि और वनोपजों तथा मिलेट्स उपज बेचना संभव पाया है. साथ ही उन्हें कृषि लोन भी शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर मिल पा रहा है.
इसलिए चलाया जाएगा जागरूकता अभियान
राज्य सरकार द्वारा आदिवासियों और वनवासियों को उनको दी गई जमील का पट्टा उपलब्ध कराया गया है. इसका उपयोग उन्हें कैसे करना है. इससे उन्हें क्या-क्या लाभ मिल सकता है. इसकी जानकारी उन तक पहुँचाने के लिए जागरूकता अभियान के द्वितीय चरण की शुरुआत की जाएगी। इस अभियान के प्रथम चरण के तहत वन अधिकार मान्यता पत्र के प्रक्रिया की जानकारी प्रदान की गई है.
पर्यावास अधिकार पर केंद्रित पुस्तक का किया विमोचन
इस कार्यक्रम में पर्यावास अधिकारों पर केंद्रित पुस्तकों का विमोचन भी किया गया है. सीएम बघेल ने आदिम जाती एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग की योजनाओं की प्रगति से संबंधित पुस्तिका ‘समावेशी विकास के बढ़ते सोपान’ शीर्षक से पब्लिश कॉफी टेबल बुक, आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा पब्लिश पुस्तकों ‘छत्तीसगढ़ की जनजातीय वाचिक परम्पराएं’, ‘बस्तर दशहरा’ ‘आदिनाद जनजाति वाद्ययंत्र’ ‘स्मारिका’ का भी विमोचन किया है.
पर्यावास अधिकार मगरलोड-पाली के परिवारों मिलेगा ये लाभ
सीएम बघेल द्वारा कमार जनजाति के परिवारों को पर्यावास अधिकार मान्यता पत्र देने से उनके प्रथागत व्यवस्थाओं और संस्कृति को शासकीय दस्तावेज में अभिलिखित करने तथा सुरक्षा और संवर्धन में सहयोग मिलेगा। पीढ़ियों से चली आ रही पारंपरिक आजीविका और पारिस्थितिकी ज्ञान की सुरक्षा और संवर्धन हो सकेगा।