PATNA. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महागठबंधन की बैठक की मेजबान बनने के लिए तैयार हैं। 23 जून को एक भव्य विपक्षी बैठक के लिए पटना में लगभग 20 विपक्षी दलों के नेताओं को उन्होंने बुलाया है। इसमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, कांग्रेस से राहुल गाधी सहित कई बड़े नेता शामिल हो रहे हैं। संभवतः आगामी लोकसभा चुनाव में इस बैठक के चलते भाजपा को कड़ी चुनौती मिलती देखने को मिले।
यह मेगा-बैठक विपक्ष के मनोबल को बढ़ा सकती है, जो लगातार झगड़ों और एक-दूसरे को मात देने से त्रस्त हैं। इस बैठक से भाजपा की रातों की नींद हराम हो सकती है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नीतीश कुमार के आवास पर होने वाली विपक्ष की बैठक को लेकर अपनी उम्मीदें बताईं।
तमाम विपक्षी दलों के नेता बैठक में शामिल होने के लिए 22 जून कि शाम से लेकर 23 जून की सुबह पटना पहुंच रहे हैं। विपक्षी एकजुटता बैठक में शामिल होने के लिए सबसे पहले ममता बनर्जी पटना पहुंचेंगी। यहां वह 22 जून की शाम को आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद से मुलाकात करेंगी।
ये नेता हो रहे हैं शामिल
विपक्षी एकजुटता बैठक में कांग्रेस की तरफ से पूर्व सांसद राहुल गांधी, राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार, नेशनल कांफ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला, पीडीपी सुप्रीमो महबूबा मुफ्ती समेत लेफ्ट के नेता सीताराम येचुरी और डी राजा भी इस बैठक में शामिल होंगे।
विपक्षी एकजुटता बैठक को लेकर पूरे पटना में तैयारी जोर-शोर से चल रही है। गैर-बीजेपी 17 राजनीतिक दलों की होने जा रही इस महाबैठक में 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी साझा रणनीति बनाने पर चर्चा करेगा। इस बैठक का मकसद साल 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजय रथ को रोकना है। बताते चलें कि विपक्षी एकजुटता के लिए नीतीश कुमार पिछले 2 महीने से विपक्षी दलों के नेताओं के साथ मुलाकात और संपर्क में थे।
उधर, माझी ने बदल लिया है पाला
गृहमंत्री अमित शाह के साथ HAM के प्रमुख जीतनराम मांझी ने गुरुवार को मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने कहा कि साल 2024 का चुनाव BJP के साथ मिलकर लड़ेंगे. इसके बाद में उन्होंने जेपी नड्डा और भाजपा के अन्य नेताओं के साथ भी मुलाकात की है। कभी नीतीश कुमार के करीबी रहे मांझी के अचानक पाला बदलने से क्या राजनीतिक समीकरण बनेंगे और बदलेंगे, यह तो आने वाले दिनों में ही साफ होगा।