POONCH. राजौरी जिले के पुंछ में गुरुवार को हुए आतंकी हमलों के पीछे पाकिस्तान केंद्रित आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा का हाथ बताया जा रहा है. अधिकारियों ने कहा कि नियंत्रण रेखा पर कड़ी चौकसी के बीच राजौरी और पुंछ के सीमावर्ती जिलों में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि घटना के बाद भीमबेर गली-पुंछ मार्ग पर यातायात रोक दिया गया और लोगों को मेंढर के रास्ते पुंछ जाने की सलाह दी गयी. राजनीतिक दलों ने हमले की निंदा की है. विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल ने जम्मू शहर के तवी पुल पर धरना दिया और पाकिस्तान विरोधी नारे लगाए. सेना ने कहा कि जिस वाहन में सैनिक यात्रा कर रहे थे, वह अज्ञात आतंकवादियों के निशाने पर आ गया और ग्रेनेड के संभावित इस्तेमाल के कारण उसमें आग लग गई.
सेना ने एक बयान में कहा है कि सभी पांचों जवान राष्ट्रीय राइफल्स यूनिट के थे और इलाके में आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए तैनात किए गए थे. मृतकों की पहचान पंजाब के हवलदार मनदीप सिंह, एल/एनके कुलवंत सिंह, सिपाही हरकिशन सिंह और सिपाही सेवक सिंह और ओडिशा के एल/एनके देबाशीष बसवाल के रूप में हुई है. सैन्य सूत्रों के अनुसार आतंकी हमले का निशाना बना वाहन वास्तव में दो-तीन वाहनों के एक छोटे काफिले का हिस्सा था और हमला सुनियोजित घात लगाकर किया गया. आतंकवादियों ने पहले से इलाके की रेकी कर हमले की योजना बनाई थी. यह तत्काल स्पष्ट नहीं है कि जिस वाहन पर हमला हुआ उससे अन्य वाहन कितनी दूर थे.
यह हमला सैन्य नेतृत्व और सरकार के बीच घाटी के भीतरी इलाकों से राष्ट्रीय राइफल्स के सैनिकों को वापस लेने और सीआरपीएफ को तैनात करने के प्रस्ताव पर चर्चा के बीच हुआ है. सूत्रों ने कहा कि आरआर सेक्टर के पूर्वी लद्दाख में जाने से पहले ही इस क्षेत्र में सैनिकों की आंशिक कमी हो गई है.
अक्टूबर 2021 में भाटा डूरियन और चामरेल के जंगलों में आतंकवादियों द्वारा नौ सैनिकों की हत्या किए जाने के 18 महीने बाद यह आतंकी हमला हुआ. इस बीच, सूत्रों ने कहा कि पुंछ और राजौरी के सीमावर्ती जिलों में शांति के बाद आतंकवादियों की गतिविधियों की सूचना मिलने लगी हैं.