AHMEDABAD. गुजरात हाईकोर्ट मानहानि मामले में कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद राहुल गांधी की अपील पर 2 मई को सुनवाई शुरू करेगा. सूरत के मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने मोदी उपनाम को लेकर 2019 लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कर्नाटक में की गई उनकी टिप्पणी के लिए मानहानि के एक मामले में इस साल मार्च में राहुल गांधी को दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई थी. उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति गीता गोपी के मामले से खुद को अलग कर लेने के बाद न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक कांग्रेस नेता की अपील पर सुनवाई करेंगे. राहुल गांधी की तरफ से कांग्रेस नेता तथा वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी पैरवी कर रहे हैं.
राहुल गांधी ने गुजरात उच्च न्यायालय में आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दायर की है. याचिका में उन्होंने गुजरात सत्र न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें सत्र न्यायालय ने उनकी दोष सिद्धि और सजा पर स्थगन देने से इनकार कर दिया था. राहुल गांधी को सजा सुनाए जाने के बाद लोकसभा की सदस्यता से उन्हें अयोग्य करार दिया गया है. यदि उच्च न्यायालय उनकी याचिका को स्वीकार कर लेता है तो लोकसभा की उनकी सदस्यता वापस बहाल हो सकती है.
अपनी अपील में राहुल गांधी ने कहा है कि उनके सांसद होने के कारण अदालत ने उनके साथ कठोर रुख अपनाया. जज ने राहुल गांधी के इस तर्क को स्वीकार नहीं किया था और कहा कि वह यह साबित करने में असफल रहे हैं कि उनकी सजा को स्थगित न करके और उन्हें चुनाव लड़ने का अवसर नहीं देने से उन्हें स्थाई नुकसान होगा. राहुल गांधी को दोषी करार देने के बाद अपील के लिए 30 दिन का समय दिया गया था.
गौरतलब है कि सूरत की अदालत ने 20 अप्रैल को राहुल गांधी की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने की मांग की गई थी. अपने फैसले में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रॉबिन पी मोगेरा ने एक सांसद और देश की दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के पूर्व प्रमुख के रूप में गांधी के कद का हवाला दिया था और कहा था कि उन्हें अधिक सावधान रहना चाहिए था. उन्होंने प्रथम दृष्टया निचली अदालत के सबूतों और टिप्पणियों का हवाला दिया और कहा कि इससे पता चलता है कि गांधी ने ‘चोरों के साथ’ एक ही उपनाम वाले लोगों की तुलना करने के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कुछ अपमानजनक टिप्पणियां कीं.