TIRUVANANTHAPURAM. केरल में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और विपक्षी दल कांग्रेस ने ‘द केरल स्टोरी’ फिल्म की आलोचना करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता समाज में जहर उगलने का लाइसेंस नहीं है और यह फिल्म राज्य के सांप्रदायिक सौहार्द को नष्ट करने का एक प्रयास है. सुदीप्तो सेन द्वारा लिखित एवं निर्देशित ‘द केरल स्टोरी’ दक्षिणी राज्य केरल में लगभग 32,000 महिलाओं के लापता होने के पीछे की घटनाओं पर केंद्रित है फिल्म में दावा किया गया है कि पहले उनका धर्मांतरण किया गया, फिर उन्हें कट्टरपंथी बनाया गया और इसके बाद उन्हें भारत एवं दुनिया में आतंकवादी कृत्यों में लगाया गया.
संस्कृति एवं युवा मामलों के मंत्री एस. चेरियन ने कड़े शब्दों वाले एक फेसबुक पोस्ट में आरोप लगाया कि यह फिल्म संघ परिवार के समाज में जहर उगलकर समुदायों के बीच अशांति पैदा करने के उनके आजमाए हुए तरीके को लागू करने के लिए दुष्प्रचार का हिस्सा है. चेरियन ने कहा कि केरल एक ऐसा राज्य है जो सांप्रदायिक सद्भाव के लिए जाना जाता है. ऐसे में इस फिल्म को संघ परिवार द्वारा राज्य के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को नष्ट करने के प्रयास के रूप में देखा जा सकता है. यह फिल्म समाज को बांटने और अशांति पैदा करने की साजिश है. कांग्रेस ने सरकार से यह कहते हुए विवादास्पद फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ के प्रदर्शन की अनुमति नहीं देने का आग्रह किया कि इसका उद्देश्य झूठे दावों के माध्यम से समाज में सांप्रदायिक विभाजन पैदा करना है.
केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने फिल्म निर्माताओं के दावों को खारिज किया और कहा कि यह स्पष्ट है कि आने वाली फिल्म का इरादा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राज्य की छवि खराब करना है. कांग्रेस नेता ने कहा, ऐसी फिल्म को प्रदर्शित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए जो झूठा दावा करती है कि केरल में 32,000 महिलाओं को इस्लाम में धर्म परिवर्तित किया गया और वे आईएसआईएस की सदस्य बना दी गईं.
अदा शर्मा अभिनीत ‘द केरल स्टोरी’ पांच मई को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है. सतीशन ने एक बयान में कहा कि फिल्म का ट्रेलर ही बताता है कि फिल्म क्या कहना चाह रही है. उन्होंने कहा, यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मुद्दा नहीं है बल्कि अल्पसंख्यक समूहों पर आक्षेप लगाकर समाज में विभाजन पैदा करने के संघ परिवार के एजेंडे को लागू करने के प्रयास का हिस्सा है.
उन्होंने कहा, किसी को भी यह नहीं सोचना चाहिए कि सांप्रदायिकता का जहर उगलकर केरल को विभाजित किया जा सकता है. सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की युवा शाखा डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) ने भी फिल्म की आलोचना की और कहा कि इसका ट्रेलर ही धार्मिक भावनाओं को आहत करता है.