WASHINGTON. 2019 के मोदी सरनेम आपराधिक मानहानि मामले में राहुल गांधी को दोषी ठहराए जाने के एक दिन बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लोकसभा से निलंबन की निंदा करने पर भारतीय-अमेरिकी राजनेता रो खन्ना को सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री सरीखे सोशल मीडिया यूजर्स रो खन्ना को याद दिला रहे हैं कि उनके दादा अमरनाथ विद्यालंकार ने भी आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी का समर्थन किया था. वह यह तक कहने से नहीं चूके, ‘हम हमेशा फासीवादी फैसलों के खिलाफ खड़े रहे?’ आलोचना में दादा तक को घसीटने पर रो खन्ना ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान नहीं करें.
सोशल मीडिया पर यूजर्स द्वारा आलोचना के केंद्र में दादा अमरनाथ विद्यालंकार को लाए जाने पर रो खन्ना ने लिखा, ‘लोगों को लाला लाजपत राय के लिए काम करने वाले मेरे दादाजी को बदनाम करते हुए देखकर दुःख होता है. उन्हें 31-32 और 41-45 की उम्र में जेल भी हुई थी. यही नहीं, उन्होंने आपातकाल का विरोध करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को दो पत्र भी लिखे. पत्र लिखने के बाद तुरंत ही वह संसद छोड़ कर चले गए. हमेशा से तथ्य ही मायने रखते हैं. मुझ पर हमला करें. मेरी आलोचना करें, लेकिन भारत के स्वतंत्रता सेनानियों पर हमला कर उनकी छवि धूमिल न करें.’
इसके पहले लोकसभा की सांसदी गंवाने वाले कांग्रेस नेता राहुल गांधी का समर्थन करते हुए रो खन्ना ने ट्वीट किया, ‘राहुल गांधी का संसद से निष्कासन गांधीवादी दर्शन और भारत के गहरे मूल्यों के साथ गहरा विश्वासघात है. यह वह स्थितियां नहीं है जिसके लिए मेरे दादाजी ने वर्षों तक जेल में सजा भुगत बलिदान दिया था. @narendramodi आपके पास भारतीय लोकतंत्र की खातिर इस फैसले को पलटने की ताकत है.’ इस ट्वीट के बाद रो खन्ना को बिल्कुल चुप रहने का निर्देश देते हुए सोशल मीडिया के दिग्गज यूजर्स ने लिखा, ‘अपने दादाजी की धौंस न दिखाएं, जिन्होंने इंदिरा गांधी के आपातकाल का समर्थन किया था.’
गौरतलब है कि कर्नाटक की चुनावी रैली में गुरुवार को सूरत की एक अदालत ने राहुल गांधी को 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान की गई उनकी टिप्पणी ‘सभी चोरों का मोदी उपनाम एक जैसा कैसे हो सकता है’ के लिए दोषी ठहराया था. इसके एक दिन बाद यानी शुक्रवार को लोकसभा सचिवालय ने नोटिफिकेशन जारी राहुल गांधी को लोकसभा के एक सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया. इसके बाद कांग्रेस के साथ कई विपक्षी दल भी आ खड़े हुए और जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. कांग्रेस भी इस फैसले के खिलाफ रविवार को देशव्यापी सत्याग्रह करने जा रही है.