BHILAI. राजधानी के शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज में करीब छह साल पहले शुरू हुआ आईआईटी भिलाई नए सत्र से खुद के सर्वसुविधा युक्त कैंपस कुठेलाभाठा में संचालित होगा। जी हां, सभी व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने का काम अब अंतिम चरण में है। जून तक हर हाल में यहां शिफ्टिंग का काम भी पूरा हो जाएगा।
बताया गया है कि दुर्ग के कुठेलाभाठा में आईआईटी का अपना कैंपस तैयार हो चुका है। बिल्डिंग तैयार होने के अलावा अन्य सुविधाएं और डेकोरेशन व फर्निशिंग का काम भी पूरा कर लिया गया है। सिर्फ पानी सप्लाई की व्यवस्था होना बाकी रह गया है, जिसे कुछ दिनों में पूरा कर लिया जाएगा। भवन के अलावा बिजली व्यवस्था व लैब का काम पहले ही किया जा चुका है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रायपुर में साल 2016 से प्रदेश का पहला और एकमात्र आईआईटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) में शुरू हुआ था। जबकि केंद्र सरकार की ओर से इसे भिलाई के लिए आवंटित किया गया था। लेकिन, भवन के अभाव में तत्कालिक रूप से राजधानी के शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज में इसे शुरू कराया गया।
आईआईटी के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर बड़ा चाहिए होता है। ऐसे में तत्कालिक रूप से तो जीईसी में इसे शुरू कर दिया गया और इसके साथ ही जमीन की तलाश शुरू की गई। ऐसे में कुठेलाभाठा की सरकारी जमीन का चयन आईआईटी भिलाई का कैंपस बनाने के लिए अंतिम रूप से किया गया। अन्य औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद यहां भवन निर्माण समेत दूसरे काम शुरू कराए गए। अब जाकर यहां काम लगभग पूरा हो चुका है। ऐसे में आगामी सत्र से इस सर्वसुविधा युक्त कैंपस में आईआईटी भिलाई अपने नाम के अनुरूप संचालित हो सकेगा।
ये कोर्स हैं संचालित, शोध को मिलेगा बढ़ावा
जहां तक आईआईटी भिलाई के पाठ्यक्रमों व कोर्स की बात करें तो यहां बीटेक की 150 सीटें हैं। साथ ही विभिन्न विषयों में एमटेक के अलावा पीएचडी पाठ्यक्रम संचालित हैं। यहां कई शोध कार्य किए जा रहे हैं। इसके लिए संस्थान के पास 100 करोड़ रुपये का फंड है। आईआईटी भिलाई के रजिस्ट्रार डा. जयेशचंद्र एस. पाई का इस बारे में कहना है कि फंड और पाठ्यक्रम के अनुरूप संसाधनों की कमी थी, जो नए कैंपस में नहीं रहेगी। ऐसे में निश्चित तौर पर वहां शोध को बढ़ावा मिलेगा और संस्थान अपने नाम के अनुरूप हो सकेगा।