BHILAI. मेडिकल साइंस के पढ़ाकुओं के बीच काला-जादू की कहानी को हम पहले बता चुके हैं। लेकिन उसका रिएक्शन इतनी जल्दी आ जाएगा। हमने कभी नहीं सोचा था। हालांकि पार्ट-2 की गाथा में हम उस महिला डॉक्टर साहब की कहानी सुनाना चाहते थे, जो पूरे प्रकरण में अपनी किस्मत से बच गई, या फिर बड़े बाबा की सिद्धी की वजह से। लेकिन कहानी मुख्य पात्र से पढ़िए। उसके मुताबिक इस महिला डॉक्टर ने शहर के बड़े मेडिकल संचालक के सुपुत्र की मध्यस्थता से उस महानुभाव की नौकरी बचाने के एवज में 60 हजार रुपए की रकम ले ली। इस मामले की जांच कर रहे बड़े साहब ने भी बहती गंगा में हाथ धो लिया। इसके बाद ही बेचारे व्यक्ति ने डाक्टरों के साहब के घर शमशान की राख को फेंका था। उस दौरान उसने उस महिला के घर में भी राख फेंकी थी। लेकिन डॉक्टर साहिबा बच गईं और पूरी बला डॉक्टरों के साहब पर जा गिरी। इसी वजह से डॉक्टरों के साहब अपने ही अस्पताल में एक कोने में सिमटकर रह गए।
पहले लेटेस्ट घटना को जानिए, जिसमें काला जादू करने वाले को कैसे साहब के चेलों ने भूत बना दिया…
यहां तक कहानी तो आप जान ही गए होंगे कि डॉक्टरों के साहब की कुर्सी कैसे छिनी। इसके काला जादू की बात कैसे बाहर आई। दरअसल कहानी के सूत्रधार उस ड्राइवर को जैसे ही मामूल हुआ कि डॉक्टरों के साहब की कुर्सी छिन गई है। उसने अस्पताल में पहले की तरह अपनी दखल बढ़ाने के लिए अस्पताल के चक्कर काटना शुरू कर दिया। इस बीच डॉक्टरों के साहब ने अपने ऊपर से काला जादू का असर उतरवाने के लिए जिस चेले को पकड़ा था। उसके बाबा की सिद्धी कोई काम नहीं आई। इसकी वजह वो चेला भी काफी व्याकुल था। जब उसे पता चला कि वो काला जादू करने वाला ड्राइवर अस्पताल के चक्कर काटने लगा है। दो दिन पहले उन्होंने ड्राइवर को घेर लिया और उसकी ये बोलकर जमकर धुनाई कर दी। लात घूंसों से कूटने का वीडियो वायरल भी किया। कहा कि आज तेरा काले जादू करने का हम भूत उतार देंगे।
अब बताते हैं उस सुश्री डॉक्टर की कहानी…
यदि आप भूल गए होंगे तो हम याद दिलाते हैं कि काले कहानी की शुरुआत इसी सुश्री महिला डॉक्टर से हुई। जब महिला डॉक्टर के ड्राइवर को फर्जी साइन करके मेडिकल सार्टिफिकेट बचेते पकड़ लिया। उस दौरान मामला यहीं खत्म नहीं हुआ था। महिला सुश्री डॉक्टर साहिबा ने पूरे घटनाक्रम को उसके ब्वाय फ्रेंड (शहर के सबसे प्रतिष्ठत मेडिकल संचालक के सुपुत्र) को बताई। ब्वाय फ्रेंड ने अपनी गर्लफ्रेंड के लिए उस ड्राइवर के साथ डील की। डील ये थी कि उसकी नौकरी बचाने के एवज में उसे सुश्री डॉक्टर साहिबा को 60 हजार रुपए देने होंगे। बेचारे ड्राइवर की तो स्थिति ऐसी थी कि मरता क्या न करता, इसलिए पैसे देने के लिए राजी हो गया। इसके बाद डॉक्टर साहिबा ने मामले को तूल नहीं दिया। बड़े साहब भी मामला डकार गए। आगे इस क्रम में काले जादू की कहानी की शुरुआत हुई।
अब चेले और उसकी स्वामी भक्ति के बारे में भी जान लीजिए…
दरअसल डॉक्टरों के साहब का ये चेला आपराधिक पृष्ठभूमि से जुड़ा था। किसी तरह डॉक्टरों के साहब से संपर्क में आ गया। इन्ही साहब की मदद से अस्पताल के कई ठेके हाथिया लिए। ऐसे में स्वामी भक्ति तो बनती थी, इसलिए साहब का कालू जादू का टोटका उतराने के लिए बाबा से सिद्धी कराई। लेकिन काम नहीं बना तो उसकी खीज ड्राइवर पर उतार दी। बेचारा ड्राइवर तो पिटकर चला गया। लेकिन उसे क्या पता था कि वो ड्राइवर अपने यूनियन के लोगों को एकजुट कर लेगा। आने वाले दिनों में अस्पताल में धरना-प्रर्दशन हो तो अचरज मत कीजिएगा। एक दूसरे पर कथित काला-जादू करने की कहानी में नए-नए मोड़ आ सकते हैं। कुटाई-पिटाई का सिलसिला जारी रह सकता है।