DURG. जिले में पर्यावरण प्रदूषण विकराल रूप लेता जा रहा है। यहां की फैक्ट्रियों की चिमनियों से निकलने वाले धुएं से ग्रामीणों का स्वास्थ्य तो बिगड़ ही रहा है, साथ ही फसलों पर भी असर हो रहा है। इसे लेकर लोगों में आक्रोश तो पहले से ही था। गुरुवार को रमसड़ा के ग्रामीण लामबंद हो गए और नेशनल हाईवे पर चक्काजाम कर दिया। करीब घंटेभर तक प्रदर्शन के बीच वाहनों की कतार लग गई। उन्हें हटाने गए पुलिस व प्रशासन के अफसरों ने समझाइश दी। साथ ही कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर जाम समाप्त कराया गया।
मालूम हो कि प्रदूषण की समस्या के निराकरण को लेकर ग्रामीणों ने कई मंचों पर आवाज बुलंद की है। उनके हवाले से जनप्रतिनिधियों ने भी उनकी मांग अफसरों तक पहुंचाई। इसी के तहत पिछले दिनों जिला पंचायत की सामान्य सभा में भी समस्या उठाई गई। इसके बाद भी कोई समुचित हल नहीं निकल सका। ऐसे में अपनी बात को पुख्ता तरीके से पहुंचाने के लिए रसमड़ा गांव के लोग लामबंद हुए। फिर सरपंच ममता साहू और जनपद सदस्य अजय वैष्णव के नेतृत्व में उन्होंने नेशनल हाईवे पर चक्काजाम कर दिया।
जैसे ही इसकी सूचना पुलिस अफसरों को हुई, वे टीम लेकर मौके पर पहुंच गए। पहले तो लोगों को जाम समाप्त करने के लिए समझाइश दी। इसके बाद भी जब असर नहीं हुआ तो भीड़ को तितर—बितर करने के लिए पुलिस ने लाठियां लहराई। वहीं सरपंच ममता साहू, जनपद सदस्य अजय वैष्णव समेत आधा दर्जन से अधिक ग्रामीणों को हिरासत में लिया गया। तब जाकर जाम समाप्त हुआ और वाहनों की आवाजाही शुरू हुई।
औद्योगीकरण से प्रदेश में बढ़ रही अराजकता
फैक्ट्रियों के विरोध में प्रदर्शन का ये पहला मामला नहीं है। दरअसल, राज्य स्थापना के बाद से औद्योगीकरण ने जोर पकड़ा है। कई नई फैक्ट्रियां स्थापित होने के साथ ही कई नए औद्योगिक क्षेत्र भी विकसित किए जा चुके हैं। इसके साथ ही प्रदूषण की समस्या ने भी भयावह रूप ले लिया है। इसे लेकर बिलासपुर, जांजगीर समेत कई जगहों पर प्रदर्शन की खबरें आती ही रहती हैं। पर्यावरणविदों का भी मानना है कि भले ही विकास के लिए उद्योगों की स्थापना जरूरी है, लेकिन संतुलन भी जरूरी है। इसके नहीं होने के कारण ही अराजकता बढ़ती जा रही है।