BEIJING. वॉयस अगेंस्ट ऑटोक्रेसी का बड़ा आरोप है कि शी जिनपिंग प्रशासन कोरोना वायरस को हथियार बनाकर तिब्बत में बसे मूल तिब्बतियों के व्यापक नरसंहार की साजिश पर काम कर रहा है. रेडियो फ्री एशिया का हवाला देते हुए वॉइस अगेंस्ट ऑटोक्रेसी ने बताया कि बीजिंग के सख्त कोविड प्रतिबंध हटाने के बाद से सिर्फ ल्हासा में कोरोना संक्रमण 100 लोगों की जान ले चुका है. बीजिंग की योजना तिब्बतियों को मार तिब्बत को मेनलैंड चाइना में मिलाने की है.
कहने को कोविड प्रतिबंधों में ढील तिब्बत की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए है,लेकिन सच्चाई यह है कि वायरस को और तेजी फैला अंततः तिब्बत में तिब्बतियों का सफाया करना है. तिब्बतियों द्वारा सोशल मीडिया में शेयर किए वीडियो में दिखाया गया है कि इस वजह से ल्हासा और शिगात्से सरीखे बड़े शहरों में भी कर्मचारियों, भोजन, चिकित्सा उपभोग्य सामग्रियों और बुनियादी ढांचे की जबर्दस्त कमी आई. तिब्बत में जमीनी स्थिति ने तिब्बतियों को अपनी जान देने तक के लिए मजबूर कर दिया. इस पर ल्हासा के मेयर ने सार्वजनिक रूप से प्रशासनिक संचालन में दोष के लिए माफी मांगी. हालांकि इसके लिए पूरी जिम्मेदारी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की है, जो अपनी कोविड नीति की विफलताओं के बावजूद भी उस पर अड़े रहे.
तिब्बतियों ने राष्ट्रपति शी की महत्वाकांक्षी जीरो कोविड नीति के प्रतिबंधों से उपजी अमानवीय स्थितियों को साझा किया था. फिर भी चीन ने कोरोना टीके भेजने सहित विदेशी मदद को भी रोक दिया. वॉयस अगेंस्ट ऑटोक्रेसी की रिपोर्ट के अनुसार चीन और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी समेत उसके नेता शी जिनपिंग की यह कार्रवाई स्पष्ट रूप से संकेत देती है कि वे चीनी और अन्य देशों के लोगों के जीवन की परवाह और सम्मान नहीं करते हैं, बल्कि इससे जुड़ी प्रतिष्ठा को अधिक तरजीह देते हैं. यही वजह है कि सख्त जीरो कोविड पॉलिसी से आजिज आम लोगों का ऐतिहासिक भारी विरोध का सामना बीजिंग प्रशासन को करना पड़ा. यह जनांदोलन उरुमकी घटना के बाद और तेज हो गया.