INDORE. मान्यता है कि रुक्मिणी अष्टमी के दिन व्रत रखने और श्रीकृष्ण के साथ उनकी पत्नी की पूजा करने पर मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। घर में धन स्थायी रूप से रहने के साथ ही दांपत्य जीवन भी खुशियों से भर जाता है। इंदौर के ज्योतिषाचार्य आचार्य गिरीश व्यास ने बताया कि इस बार रुक्मिणी अष्टमी 16 दिसंबर 2022 को पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाएगी। जानिए कृष्ण-रुक्मिणी के विवाह की रोचक कहानी और पूजन विधि…
श्रीकृष्ण की पहली पत्नी थीं रुक्मिणी
पुराणों के अनुसार, इसी दिन श्री कृष्ण की पटरानी देवी रुक्मिणी का जन्म हुआ था। उन्हें मां लक्ष्मी का अवतार भी माना जाता है। इसीलिए उनकी पूजा करने से घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती है। साथ ही दांपत्य जीवन में आ रही परेशानियां भी दूर हो जाती हैं।
पुराणों के अनुसार, श्रीकृष्ण की कई रानियां थीं। उनकी पहली पत्नी देवी रुक्मिणी थीं। देवी रुक्मिणी और श्रीकृष्ण के विवाह की कहानी बड़ी ही रोचक है। बुद्धिमान, रूपवती और सरल स्वभाव की रुक्मिणी विदर्भ देश के राजा भीष्मक की पुत्री थीं। भीष्मक पुत्री के लिए योग्य वर की तलाश में थे।
जो भी राजा के दरबार में आता था वह श्रीकृष्ण के साहस और वीरता की प्रशंसा करता था। कृष्ण की वीरता की कथा सुनने के बाद देवी रुक्मिणी ने उन्हें अपने पति के रूप में स्वीकार कर लिया। तय हुआ कि वह कृष्ण से ही शादी करेगी।
भाई ने शिशुपाल से रुक्मिणी का विवाह तय कर दिया
राजा भीष्मक के पुत्र रुक्मा के मित्र चेदिराज शिशुपाल रुक्मिणी से विवाह करना चाहते थे। रुक्मा के कहने पर राजा ने रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल के साथ तय कर दिया। मगर, रुक्मिणी तो पहले ही श्रीकृष्ण को पति स्वीकार कर चुकी थीं। इसलिए उन्होंने कृष्ण को एक संदेश भेजकर अपने प्रेम के बारे में बताया। रुक्मिणी को संकट में देखकर श्रीकृष्ण तुरंत विदर्भ राज्य पहुंचे।
फिर रुक्मिणी का अपहरण किया और द्वारिका लाकर किया विवाह
जब शिशुपाल विवाह के लिए द्वार पर आया तो कृष्ण ने रुक्मिणी का अपहरण कर लिया। इसके बाद श्रीकृष्ण, शिशुपाल और रुक्मा के बीच भीषण युद्ध हुआ और इसमें श्रीकृष्ण की विजय हुई। रुक्मिणी को कृष्ण द्वारकाधीश ले आए और उन्होंने यहीं विवाह किया।
रुक्मिणी अष्टमी 2022 मुहूर्त
पंडित गिरीश व्यास ने बताया कि पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 16 दिसंबर 2022 को सुबह 01:39 मिनट से शरू होगी। इस दिन अभिजित मुहूर्त दोपहर 12:02 से 12:43 तक रहेगा। यह तिथि अगले दिन 17 दिसंबर 2022 को सुबह 03:02 मिनट पर समाप्त होगी।
रुक्मिणी अष्टमी पूजा विधि
स्नान के बाद देवी लक्ष्मी की प्रतिमा के सामने रुक्मिणी देवी का स्मरण कर व्रत का संकल्प लें। घी का दीपक जलाकर मंत्रोच्चार के साथ श्रीकृष्ण का अभिषेक करें। फिर कुमकुम, हल्दी, अबीर, हल्दी, इत्र और फूल आदि से पूजा करें। खीर का भोग लगाएं। सुहागिन महिलाओं को सुहाग की सामग्री दान करें। इससे सौभाग्य में वृद्धि होती है।
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