BHILAI. बीते दिनों जिस बारह साल के बालक की लाश मिली थी उसके हत्या की गुत्थी पुलिस ने सुलझा लिया है। इस मामले में पुलिस ने युवक के दो नाबालिग दोस्तों को गिरफ्तार कर लिया है। दोनों शातिर नाबालिग ने पुलिस को गुमराह करने के लिए एक बनावटी कहानी भी गढ़ दी, जिसके सहारे दोनों पुलिस को भ्रमित करने का भरसर प्रयास करते रहे।
बीते 21 अक्टूबर को दुर्ग जिले के ग्राम रुदा में खेलते हुए 12 वर्षीय समीर साहू लापता हो गया था। घर वालों ने पतासाजी की लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली। फिर परिजनों ने अंडा थाने में शिकायत करवाई। पुलिस ने पतासाजी की तो मामले का खुलासा नहीं हो पा रहा था। पुलिस ने समीर साहू उर्फ संतु के परिजनों से लेकर उसके दोस्तों और गांव वालों से पूछताछ की।
पुलिस ने शक और कहानी के आधार पर समीर साहू के दोस्तों को गिरफ्तार किया। दोनों नाबालिग दोस्त समीर के पड़ोसियों द्वारा जादू-टोने करने कहानी गढ़ी गई। दोनों ने घटना में पड़ोसियों के ही संलिप्त होने की प्रायोजित कहानी गढ़ी डाली। दोनों नाबालिग बच्चों की बाद में एकरूपता के चलते पुलिस भी जादू-टोने के एंगल से भी जांच करने लग गई थी।
पुलिस ने गांव में पूछताछ शुरू किया। तो पास के ही किराना दुकान से दोनों नाबालिगों द्वारा रस्सी खरीदने की जानकारी मिली। तब पुलिस को अलग ही शक हुआ और पुलिस ने नए एंगल से तलाश शुरू किया। दोनों नाबालिगों के संलिप्त होने की बात सामने आई।
हर बार कबड्डी में जीतता था
दरअसल रुदा गांव में बच्चों आपस में खेलते थे। खेलने वाले अधिकांश नाबालिग दोस्त थे। लेकिन दोस्तों में सबसे काबिल था समीर। समीर हर बार हर खेल में जीत जाता था। इस बात से उसके दोनों दोस्त काफी खपा रहते थे। बच्चों का समूह आए दिन कबड्डी खेलता था। इसमें समीर जबरदस्त रेड करता था। इससे भी उसके दोनों दोस्त काफी चिढ़ते थे। फिर एक दिन उसके दोनों दोस्त ने समीर को मारने की प्लानिंग की। बोरी का जुगाड़ किया। पास की दुकान से रस्सी खरीदी। सामानों को पहले नदी के पास सुनसान जगह में झाड़ियों में छिपा दिया। फिर कबड्डी खेला गया, जिसमें हमेशा की तरह समीर ने बाजी मारी। खेल खत्म हुआ और सभी दोस्त धीरे-धीरे गांव की ओर लौट गए। लेकिन समीर को उसके दोनों दोस्त रोके रखे और बहला-फुसलाकर नदी के पास ले गए और वहां पहले से छुपाए सूजा से वार किया। पत्थर से भी सिर में हमला किया गया। इससे समीर की मौत हो गई। फिर समीर के हाथ-पैर को मोड़कर शव को बोरी में भरा गया और उस रस्सी से कसकर बोरी को बांध दिया गया।
250 लोगों से हुई पूछताछ, 50 मोबाइल खंगाले
इस मामले में पुलिस पिछले 15 दिन से जांच-पड़ताल करती रही। पुलिस टीम द्वारा आरोपियों तक पहुंचने अलग-अलग तरह से जांच की गई और कई एंगल से मामले को प्रारंभिक तौर पर तलाशा गया। पुलिस द्वारा समीर से जुड़े और उसके गांव व आसपास के ढाई सौ लोगों से पूछताछ की गई। साथ ही पुलिस ने 50 मोबाइल को भी बारीकी से खंगाला। जहां बच्चे की लाश मिली उसके आसपास के कई CCTV फुटेज भी खंगाला गया था।
इनकी रही अहम भूमिका
मामले में पुलिस ने जांच टीम बनाई थी। दुर्ग पुलिस महानिरीक्षक (IG) बद्रीनारायण मीणा के निर्देश पर दुर्ग पुलिस अधीक्षक (SP) डॉ.अभिषेक पल्लव ने टीम बनाई। टीम में दुर्ग ग्रामीण के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) अनंत साहू, छावनी के नगर पुलिस अधीक्षक (CSP) प्रभात कुमार, पाटन पुलिस अनुविभागीय अधिकारी (SDOP) देवांश राठौर, उप पुलिस अधीक्षक (अपराध) नसर सिद्दीकी के मार्गदर्शन में एसीसीयू प्रभारी निरीक्षक संतोष मिश्रा, अंडा थाना प्रभारी अंबिका प्रसाद ध्रुव के नेतृत्व में एंटी क्राइम एवं सायबर यूनिट दुर्ग की विशेष टीम गठित कर आरोपियों की शीघ्र पतासाजी कर गिरफ्तारी के लिए लगाया गया था।
इस मामले में थाना अंडा के सहायक उप निरीक्षक सुंदल लाल नेताम, दिनेश वर्मा, झग्गर सिंह टंडन, चंद्रशेखर सोनी, महिला प्रधान आरक्षक जेस्मिका, कमलेश साहू, धन्नू साम, आरक्षक अजय ढीमर, रामेश्वर, हिम्मत सिंह, भवानी जगत, तृप्ति ध्रुवे, एंटी क्राइम एवं सायबर यूनिट के सहायक उप निरीक्षक पूर्ण बहादुर, समित मिश्रा, प्र.आ. चंद्रशेखर बंजीर, रोमन सोनवानी, आरक्षक पंकज चतुर्वेदी, राजकुमार चंद्रा, अश्विनी यदु, जुगनु सिंह, शहबाज खान, विक्रांत कुमार, अनुप शर्मा का उल्लेखनीय योगदान रहा। इस मामले में दुर्ग एसपी डॉ.अभिषेक पल्लव ने खुलासा करने वाली टीम को नकद इनामी राशि से पुरस्कृत करने की घोषणा की गई है।
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