तीरंदाज, भोपाल। राजधानी में शुक्रवार को बहुप्रतिक्षित चित्र भारती फिल्म फेस्टिवल शुरू हुआ। समारोह में सिने अभिनेता अक्षय कुमार कुमार व द कश्मीर फाइल्स के निर्देशक विवेक अग्नहोत्री शामिल हुए। इस मौके पर अभिनेता अक्षय कुमार ने देश में सवच्छता अभियान पर बात की। उन्होंने कहा कि देश ने 70 साल एक ऐसे प्रधानमंत्री का इंतजार किया जो यह बता सके कि हर घर में शौचालय हो।
बता दें अभिनेता अक्षय कुमार ने टॉयलेट एक प्रेम कथा नाम की एक फिल्म की थी जिसमें एक गांव में टॉयलेट को लेकर किस तरह की मानसिकता थी यह दिखाया गया। नायक ने अपनी पत्नी के लिए पूरे गांव की रूडीवादी परंपरा को तोड़ा। आज चित्रभारती फिल्म फेस्टिवल में उन्होंने इसी विषय पर बात की। उन्होंने कहा कि हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कारण आज इस महत्वपूर्ण मुद्दे के बारे में जागरूकता आई है।
चित्र भारती फिल्म फेस्टिवल के चतुर्थ संस्करण का शुक्रवार को उद्घाटन हुआ। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय बिसनखेडी में यह समारोह आयोजित किया गया है। कार्यक्रम के दौरान अभिनेता अक्षय कुमार ने चित्र भारती फ़िल्म फेस्टिवल के पांच श्रेणियों में प्रत्येक विजेताओं को पुरस्कार में एक-एक लाख रुपये अपनी ओर से देने की घोषणा की है।
सिनेमा मनोरंजन का माध्यम
कार्यक्रम के दौरान अक्षय कुमार ने कहा कि सिनेमा मनोरंजन का माध्यम है लेकिन उसका उद्देश्य सिर्फ मनोरंजन हो, ऐसा नहीं है। कुछ फिल्में सच भी बयान करती हैं और सामाजिक संदेश देती हैं। इस अवसर पर उन्होंने अपनी उन फिल्मों का उल्लेख किया, जो सामाजिक मुद्दों पर बनी हैं। इस मौके पर उन्होंने फिल्म द कश्मार फाइल्स का भी जिक्र किया।
‘द कश्मीर फाइल्स’ ने देश को झकझोर दिया
अक्षय कुमार ने कहा कि विवेक अग्निहोत्री की फ़िल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ ने देश को झकझोर दिया है। उन्होंने कहा कि फ़िल्म निर्माता अपनी फिल्मों के माध्यम से ऐसी कहानी लेकर आएं जो देश निर्माण में सहयोगी बनें। चित्र भारती के माध्यम से यह विचार देश के कोने-कोने में पहुंचे। उन्होंने कहा कि असफलताएं हमारे जीवन का हिस्सा हैं लेकिन असफलताओं के आगे हिम्मत नहीं हारनी चाहिए।
जम्मू-कश्मीर पर बनी फिल्मों ने किया आतंकियों का महिमा मंडन
इस मौके पर द कश्मीर फाइल्स के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को लेकर अब तक बहुत फिल्में बनाई गई लेकिन किसी ने वास्तविकता को नहीं दिखाया। बल्कि उन फिल्मों में आतंकवादियों को सही ठहराने का ही काम किया गया। फिल्मों के माध्यम से हमने डाकुओं, लुटेरों, नक्सलियों और आतंकियों का महिमामंडन करने का काम किया।
उन्होंने कहा कि यह भारतीयता विरोधी नैरेटिव था। अब समय आ गया है कि फिल्मों के माध्यम से भारत के विमर्श को आगे बढ़ाया जाए। उन्होंने कहा कि चित्र भारती फिल्म फेस्टिवल में आनेवाले युवा फिल्म निर्माता यह कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि चित्र भारती सिनेमा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। राष्ट्रीय विचार को बढ़ाने के इस अभियान को सबको गति देना चाहिए।
विवेक अग्नहोत्री ने कहा कि मानवता की लौ जलाने का हमारा जो डीएनए था, उसी के अनुरूप हमारा युवा फ़िल्म बना रहा था। सिनेमा का एक दौर ऐसा भी आया जब उससे भारत का आम आदमी और सामाजिक मुद्दे गायब हो गए। दरअसल, हमने 70 साल में अपने युवाओं को शॉर्टकट लेना सिखाया, उसे प्रोडक्टिव नहीं बनाया। इस मौके पर उन्होंने भारतीय साहित्य, सभ्यता, सिनेमा पर काम करने के लिए तीन छात्राओं अगले 5 साल तक 51-51 हजार रुपये वार्षिक स्कॉलरशिप देने की घोषणा की।
अपने घर में क्रांतिकारियों के चित्र रखें
कार्यक्रम के दौरान संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री ऊषा ठाकुर ने कहा कि हम अपने घर में मुख्य स्थान पर क्रांतिकारियों का चित्र लगाएं। रोज उस चित्र को देखने से हमारा चित्त भी राष्ट्रप्रेम से भर उठेगा। हमारे चित्त की वृत्ति वैसी बनेगी। उन्होंने कहा कि द कश्मीर फाइल्स जैसी फ़िल्म देखकर भूल नहीं जाना, बल्कि सजग सिपाही बनना और अपने आसपास ध्यान रखना कि कोई और फ़ाइल न बन जाये।
इससे पहले स्वागत भाषण पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने दिया। इस अवसर पर फ़िल्म पर केंद्रित दो विशेषांकों एवं मध्यप्रदेश के फ़िल्म कलाकारों पर केंद्रित डायरेक्टरी का विमोचन भी किया गया। समारोह का शुभारंभ संस्कृत बैंड ‘ध्रुवा’ और नर्मदाष्टकम पर नृत्य प्रस्तुति के साथ किया गया। कार्यक्रम का संचालन विनय उपाध्याय ने किया और आभार प्रदर्शन आयोजन समिति के सचिव अमिताभ सोनी ने किया।