बिलासपुर (bilaspur)। बिलासपुर जिले में दुर्लभ बीमारी (rare disease) से ग्रसित 2 साल की सृष्टि रानी को बड़ी मदद मिली है। सृष्टि जोलजेस्मा इंजेक्शन स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप टू (zologsma injection spinal muscular atrophy type two) से ग्रसित है। उन्हें इंजेक्शन लगा दिया गया है, जिसकी कीमत 16 करोड़ रुपए है।
दरअसल, तीन माह पहले एसईसीएल (SECL) ने इंजेक्शन के लिए 16 करोड़ रुपए की मदद की थी। उसके बाद स्विजरलैंड के नोवार्टिस कंपनी (Novartis Company of Switzerland) से इंजेक्शन (injection) मांगने की प्रक्रिया पूरी करने में समय लगा। इंजेक्शन मंगाने के बाद दिल्ली एम्स (Delhi AIIMS) में डॉ. शेफाली के साथ 10 सदस्यीय टीम (10 member team) ने मासूम को जोलजेस्मा वैक्सीन लगाया है। डॉक्टरों के मुताबित सृष्टि के हालत में धीरे-धीरे सुधार होता जाएगा।
एम्स दिल्ली में गुरुवार की सुबह ही बच्ची के लिए जोलजेस्मा इंजेक्शन पहुंचा। इलाज कर रहे डाक्टरों ने सृष्टि को तत्काल इंजेक्शन देने का निर्णय लिया। दोपहर में एम्स की डॉ. शेफाली समेत 10 सदस्यीय टीम ने सृष्टि को इंजेक्शन लगाया है। यह इंजेक्शन लगने के बाद सृष्टि का जीवन सामान्य होने की उम्मीद बढ़ गई है।
तीन महीने आइसोलेशन में रहेगी
इंजेक्शन लगने के बाद एम्स के डाक्टरों ने बताया कि सृष्टि को तीन माह तक आइसोलेशन में रहना होगा। इस दौरान धीरे-धीरे इंजेक्शन असर करेगा और उसकी हालत पर लगातार नजर रखनी होगी। उसे जरूरी दवा भी दी जाएंगी। मौजूदा स्थिति में सृष्टि वेंटिलेटर पर है।
बता दें कि एसईसीएल (SECL) ने अपने कर्मचारी की बेटी को बचाने का पूरा खर्च उठाने का फैसला किया था। मासूम सृष्टि को नया जीवन मिल गया। बच्ची की जान बचाने के लिए 16 करोड़ के एंजेक्शन की मदद के लिए एसईसीएल प्रबंधन की पहल की सभी ओर सराहना हो रही है।
कोल इंडिया के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल ने राशि की स्वीकृति देने के साथ शुक्रवार को एसईसीएल दीपका प्रबंधन ने सृष्टि रानी के पिता को 16 करोड़ रुपए का डायरेक्टर एम्स नई दिल्ली के नाम का चेक दिया है। एकल रूप में देश की सबसे बड़ी कोयला कंपनी और कोल इण्डिया की सब्सिडीएरी एसईसीएल ने नेक पहल करते हुए अपने एक कोयला कर्मी की दो साल की मासूम बच्ची के इलाज के लिए आगे आया।
एसईसीएल के दीपका कोयला क्षेत्र में कार्यरत ओवरमैन सतीश कुमार रवि की बेटी सृष्टि रानी ‘स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी’ (एसएमए) नामक एक बेहद ही दुर्लभ बीमारी से ग्रस्त है। मूमन छोटे बच्चों में होने वाली इस बीमारी में स्पाइनल कॉर्ड और ब्रेन स्टेम में नर्व सेल की कमी से मांसपेशियां सही तरीके से काम नहीं कर पाती।
चिकित्सकों के अनुसार ऐसे में धीरे-धीरे यह बीमारी प्राणघातक होती चली जाती है। इसका इलाज बेहद ही महंगा है। इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन ‘जोलजेंस्मा’ की कीमत 16 करोड़ रुपए है। कोल इंडिया ने बेटी के इलाज के लिए सहमति दी और 16 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की।
एसईसीएल ने कहा परिवार को 16 करोड़ का चेक दिया
एसईसीएल के जनसंपर्क अधिकारी सनीश कुमार ने जानकारी दी कि कर्मी को अपनी बच्ची के इलाज के लिए इतनी ऊंची कीमत पर इंजेक्शन खरीद पाना संभव नहीं था। कंपनी ने अपने परिवार की बेटी की जान बचाने के लिए यह बड़ी पहल की है। एसईसीएल दीपका के माइनिंग जीएम शशांक कुमार देवांगन ने सृष्टि के पिता को 16 करोड़ का चेक सौंपा।
परिवार के लिए संभव नहीं थी इतनी बड़ी रकम
बता दें कि परिवार के सामने इतनी बड़ी रकम जमा कर पाना एक बड़ी चुनौती थी। ऐसे में परिवार और मासूम सृष्टि की सांसों को थमने से बचाने के लिए लोगों की मदद की आस थी। सतीश कुमार रवि के छोटे से परिवार में सब कुछ सही चल रहा था। 22 नवंबर 2019 को सतीश के घर मासूम सृष्टि के जन्म के साथ नई खुशियां आई, लेकिन कुछ महीने बाद ही मानो इस परिवार की खुशियों पर ग्रहण लग गया।
दिसंबर में इस बीमारी की जानकारी मिली थी
पिता सतीश कुमार ने बताया कि सृष्टि 5 महीने की होने के बाद भी स्वस्थ नहीं थी। परिवार के लोगों ने मासूम सृष्टि को बेहतर इलाज के लिए बाहर ले जाते, उससे पहले ही मार्च महीने में कोरोना महामारी के कारण देशभर में लॉकडाउन लग गया। लिहाजा स्थानीय स्तर पर मासूम सृष्टि का इलाज किया जाता रहा, लेकिन सृष्टि को हुए गंभीर बीमारी का पता नहीं चल सका।
सतीश ने बताया कि 14 दिसंबर को बेटी को इलाज के लिए सीएमसी वैलूर लेकर गए, जहां डाक्टरों ने मासूम सृष्टि के कई टेस्ट किए और उन्हीं टेस्ट की एक रिपोर्ट में मासूम सृष्टि को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाईप-1 नामक गंभीर बीमारी के होने का पता चला, जिसका इलाज डॉक्टरों की टीम ने सात समंदर पार होने की जानकारी परिवार के लोगों को दी थी।
(TNS)