तीरंदाज, रायपुर। छत्तीसगढ़ में कोरोना महामारी के बढ़ते प्रसार के साथ कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग बड़ी चुनौती के रूप में सामने आ रही है। छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में कोविड-19 के लिए कंट्रोल रूम बनाए गए हैं, लेकिन यहां बैठे कर्मचारियों को कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल जब किसी पेशेंट की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है और इसके बाद कोविड-19 कंट्रोल रूम के कर्मियों द्वारा ट्रेसिंग के लिए कॉल किया जाता है। तो उन्हें उल्टे सीधे जवाब मिल रहे हैं। कई बार तो फोन रिसीव करने वाले गालियां तक दे रहे हैं।
यह पूरी गड़बड़ी गलत नंबरों के कारण हो रही है। सैंपल कलेक्शन के दौरान संदिग्ध मरीजों द्वारा गलत नंबर दर्ज कराए जा रहे हैं। राजधानी रायपुर में ऐसे कई मामले सामने आए, जिसमें पॉजिटिव मरीजों ने गलत नंबर दर्ज करवाए। कोविड-19 कंट्रोल रूम से जब उनके नंबरों पर कॉल किया जाता है तो वहां से दूसरा ही जवाब आता है।
फोन पर कहा जाता है कि हमने तो कोई टेस्ट कराया ही नहीं तो रिपोर्ट पॉजिटिव कैसे आ गई। कई बार तो कोविड-19 कंट्रोल रूम के कर्मियों को इनकी गालियां भी सुननी पड़ रही हैं। कई प्रयासों के बाद भी कई पॉजिटिव मरीजों से संपर्क नहीं हो पा रहा और उनके कॉन्टेक्ट रेसिंग में दिक्कतें आ रही हैं। कई बार कॉल करने के बाद भी कोविड-19 कंट्रोल रूम के कर्मियों को सही जानकारी नहीं मिल पा रही है।
जाने क्यों जरूरी है कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग
कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रशासन के लिए यह जरूरी है कि पॉजिटिव मरीज के संपर्क में कौन-कौन आया है इसकी जानकारी मिले। इसके लिए प्रशासन ने कोरोना कंट्रोल रूम की स्थापना की है। सैंपल की जांच के दौरान मरीजों का पूरा ब्यौरा लिया जाता है, जिसमें उनका मोबाइल नंबर भी दर्ज किया जाता है, ताकि पॉजिटिव आने पर उन्हें इसकी जानकारी दी जा सके। साथ ही उनके संपर्क में आए लोगों का पता चल सके। कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग तेज होने से संपर्क में आए लोगों की जांच भी हो सकती है और उन्हें आइसोलेट कर कोरोना संक्रमण फैलने से बचाया जा सकता है।
आ रही हैं ऐसी दिक्कतें
अब समस्या यह आ रही है कि सैंपल जांच के दौरान दिए गए गलत नंबरों के कारण कंट्रोल रूम कर्मियों को कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग में दिक्कतें आ रही हैं। यही नहीं कंट्रोल रूम के कर्मियों के अनुसार कई बार पॉजिटिव पेसेंट द्वारा दिए गए नंबर स्विच ऑफ रहते हैं। कई बार ऐसा भी हुआ है कि पॉजिटिव आने की जानकारी देने पर वह गुस्सा हो जाते हैं और गाली गलौज भी करने लग जाते हैं। 24 घंटे कोरोना कंट्रोल रूम में काम कर रहे कर्मचारियों को इस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा रहा तो कोरोना पॉजिटिव मरीजों के संपर्क में आए लोगों की जांच करना प्रशासन के लिए काफी मुश्किल साबित हो सकता है।