NEW DELHI NEWS. देश में ऑनलाइन पेमेंट को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) डिजिटल पेमेंट को और सुरक्षित बनाने के लिए नए नियम जारी किए हैं। अब एसएमएस आधारित ओटीपी के अलावा भी टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2एफए) के लिए कई विकल्प होंगे। ये नियम 1 अप्रैल 2026 से लागू होंगे। नए नियमों के तहत पेमेंट के लिए यूजर की पहचान तीन तरीकों से हो सकती है-जो चीज यूजर के पास है, जो यूजर जानता है या जो यूजर है।
इसके अनुसार पासवर्ड, एसएमएस ओटीपी, पासफ्रेज, पिन, कार्ड हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर टोकन, फिंगरप्रिंट या आधार बेस्ड बायोमेट्रिक शामिल हो सकते हैं। दरअसल, फरवरी 2024 में आरबीआई ने पहली बार यह प्रस्ताव रखा था। किसी ट्रांजैक्शन में जोखिम ज्यादा हो, तो 2एफए के अलावा अतिरिक्त जांच भी की जा सकती है। ऐसे मामलों में डीजीलॉकर के जरिए नोटिफिकेशन और कन्फर्मेशन का विकल्प भी अपनाया जा सकता है।
ट्रांजैक्शन में नियमों का पालन न करने से ग्राहक को नुकसान हुआ, तो बैंक या कार्ड जारी करने वाली संस्था को ग्राहक को पूरा मुआवजा देना होगा। बता दें कि बैंकिंग ट्रांजैक्शन्स में धोखाधड़ी से नुकसान वित्त वर्ष 2023 के 421.4 करोड़ रुपए से बढ़ कर वित्त वर्ष 2024 में 2,054.6 करोड़ रुपए हो गया था। वहीं, गूगल के अनुसार जैसे-जैसे 2एफए को ज्यादा सक्रिय किया गया, उनके प्लेटफॉर्म पर फर्जीवाड़े के मामलों में लगभग 50% की कमी आई।
RBI का कहना है कि यूजर्स के पास यह ऑप्शन होगा कि वह टू-फैक्टर के लिए कौन-सा विकल्प चुनना चाहते हैं। यह पूरी तरह यूजर पर निर्भर करेगा कि वे पेमेंट को पूरा करने के लिए ओटीपी या फिर बायोमैट्रिक ऑथेंटिकेशन का विकल्प चुनते हैं। आरबीआई का कहना है कि बैंक या पेमेंट ऐप को यूजर्स को सभी ऑथेंटिकेशन विकल्प देने होंगे। यानी बैंक यूजर्स को लेटेस्ट सिक्योरिटी टूल चुनने के लिए बाध्य नहीं कर सकते हैं।