RATNAPUR. सावन का महीना महादेव की पूजा-अर्चना की दृष्टि से खास माना जाता है। खास तौर पर सोमवार का दिन महादेव की पूजा करना पुण्यदायी व शुभ माना जाता है। ऐसे में रतनपुर स्थित बूढ़ा महादेव को जल अर्पित करने भक्तों ने कांवड़ यात्रा निकाली। हर साल की तरह इस साल भी रविवार की शाम से ही कांवड़ यात्री रतनपुर पहुंचे। सोमवार की सुबह जलाभिषेक कर महादेव की आराधना की। इस दौरान चारों ओर आस्था का जनसैलाब उमड़ा नजर आया।
बता दें, रतनपुर स्थित प्राचीन बूढ़ा महादेव मंदिर में सोमवार को शिव भक्त हजारों की संख्या में जलाभिषेक के लिए पहुंचे। शनिवार की शाम बेलपान से जल लेकर दिन भर पैदल यात्रा कर रविवार की शाम तक भक्त रतनपुर पहुंचे। रतनपुर में भक्तों ने महामाया मंदिर स्थित धर्मशाला में विश्राम किया।
फिर सोमवार की सुबह कांवड़ यात्रा को पुनः शुरू कर बूढ़ा महादेव के मंदिर पहुंचे। सभी ने बेलपान से लेकर आए जल से महादेव का अभिषेक पूजन किया। इस दौरान चारों ओर हर-हर महादेव…व बम-बम भोले…की गूंज सुनाई देती रही।
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हजारों की संख्या में शिव भक्तों का रेला मंदिर पहुंचा। सुबह से ही भक्तों के मंदिर पहुंचने का सिलसिला चलता रहा है। इस दौरान कांवड़ यात्रियों का स्वागत जगह-जगह किया गया।
बूढ़ा महादेव समाहित कर लेते हैं जल को
बूढ़ा महादेव का मंदिर सबसे पुराना मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में विराजमान वृद्धेश्वर नाथ मंदिर के नाम से भी जानते है। माना जाता है कि यहां की शिवलिंग में जितना भी जल चढ़ाया जाए वह अपने अंदर समाहित कर लेता है और यह जल यथास्थिति ही रहता है। यह रहस्य बना हुआ है कि यहां अर्पित किया गया जल कहां जाता है पता ही नहीं चलता।