BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि इलाज के दौरान चिकित्सकों ने लापरवाही बरती है या नहीं। यह तय करने का अधिकार मेडिकल बोर्ड को है। बिना बोर्ड की रिपोर्ट और अनुशंसा के चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती। कोर्ट ने तीन डॉक्टों के खिलाफ इलाज में लापरवाही के आरोप में दर्ज एफआईआर को रद कर दिया है। आरोपित डॉक्टरों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि आरोप के संबंध में मेडिकल बोर्ड या सक्षम अधिकारी से जांच नहीं कराई गई है। इस लिए चिकित्सा में लापरवाही बरतने का कोई प्राथमिक मामला नहीं बनता है।
बता दें, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रजनी दुबे की डिवीजन बेंच में सुनवाई के बाद पाया कि मामले में बच्चे की स्थिति के बारे में परिवार को बता दिया गया था। साथ ही प्रकरण में मेडिकल बोर्ड या सक्षम अधिकारी से जांच नहीं कराई गई। सर्जरी के बाद बच्चे की मौत हो गई थी। पिता की शिकायत पर तीन डॉक्टरों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया।
इसके खिलाफ आरोपित डॉक्टरों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता चिकित्सकों ने बताया कि उनके खिलाफ चिकित्सा लापरवाही का कोई प्राथमिक इलाज नहीं बनता है। शिकायतकर्ता के पुत्र को जन्मजात हार्निया के साथ हाइड्रोसील था। उसके माता-पिता की सहमति के बाद सर्जरी की योजना बनाई गई थी। सर्जरी की प्रक्रिया और एनेस्थिसिया के परिणाम को भी स्पष्ट रूप से माता-पिता को बताया गया था।
शिकायतकर्ता का कहना था कि डॉक्टरों ने बिना उचित योग्यता और साधनों के अपने आर्थिक हित के लिए बच्चों का ऑपरेशन कर दिया। जिससे उसकी मौत हो गई सुनवाई के बाद कोर्ट ने आरोप और लापरवाही सिद्ध न होने पर डॉक्टरों की याचिका स्वाीर कर उनको दोषमुक्त कर दिया।
क्या है मामला
कोरबा जिले के बालकोनगर थाना क्षेत्र निवासी दिव्यांश के पिता मनोज केंवट की शिकायत पर पुलिस ने तीन चिकित्सकों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया था। मनोज ने पुलिस में दर्ज कराई शिकायत में बताया है कि छह जनवरी 2021 को उसके बेटे दिव्यांश की तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। उसको इलाज के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया। डॉ.प्रभात पाणिग्रही ने उसकी जांच की।
जांच के बाद आठ जनवरी को डॉ.पाणिग्रही ने दिव्यांश को हार्निया से पीड़ित होने के बारे में बताया। इसके बाद बच्चे का ऑपरेशन कराने के लिए सलाह दी। डॉ.पाणिग्रही ने जिला अस्पताल में ऑपरेशन की सुविधा नहीं होने व बच्चे को ऑपरेशन के लिए बालकोनगर के निजी आयुष्मान नर्सिग होम रेफर कर दिया। नौ जनवरी को दिव्यांश को नर्सिंग होम में भर्ती कर लिया गया और शाम को उसे ऑपरेशन के लिए ले जाया गया।
बच्चे के इलाज के दौरान ऑपरेशन थियेटर में डॉ.पाणिग्रही के साथ आयुष्मान नर्सिंग होम की डॉ.ज्योति श्रीवास्तव और प्रतीकधर शर्मा उपस्थित थे। बच्चे को ऑपरेशन के लिए ले जाने के करीब आधे घंटे बाद डॉ.पाणिग्रही ने उन्हें बच्चे की तबियत बिगड़ने की जानकारी दी। इसके साथ ही डॉक्टरों ने उनसे पूछे बिना बच्चे को कोसाबाड़ी के एक निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया। कुछ ही देर बाद वहां मौजूद डॉक्टर ने बताया कि बच्चे की मौत हो गई।