BILASPUR. हाईकोर्ट ने शिक्षक पात्रता परीक्षा के वैधता को लेकर आदेश जारी किया है। जिसमें कोर्ट ने आदेश में टीईटी के सर्टिफिकेट को आजीवन के लिए वैध बताया है। मामले में शिक्षक को टीईटी की वैधता 7 वर्ष तक ही मानकर याचिकाकर्ता को अपात्र घोषित कर दिया था। जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
बता दें, शिक्षक पात्रता परीक्षा के सर्टिफिकेट की वैधता को लेकर विभाग द्वारा दिए गए व्यवस्था के खिलाफ महिला उम्मीदवार मनीषा ठाकुर ने याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल के सिंगल बेंच में हुई। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को विभाग के समक्ष अभ्यावेदन पेश करने कहा है। कोर्ट ने संचालक लोक शिक्षण संचालनालय रायपुर एवं संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग बस्तर को तय सरकुर्लर के आधार पर याचिकाकर्ता के प्रकरण का निराकरण करने का निर्देश दिया है।
मामला क्या है जानें
संचालक लोक शिक्षक संचालनालय रायपुर की ओर से वर्ष 2023 में बस्तर एवं सरगुजा डिवीजन में शिक्षक पद पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया। दीनदयाल नगर राजनांदगांव निवासी मनीषा ठाकुर ने बस्तर डिवीजन में शिक्षक पद पर भर्ती के लिए आवेदन किया एवं संपूर्ण प्रक्रिया के बाद वह परीक्षा में चयनित हुई, परंतु 30 सितंबर 2023 को संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग बस्तर द्वारा मनीषा ठाकुर को इस आधार पर अपात्र कर दिया कि उसका टीईटी सर्टिफिकेट की वैधता समाप्त हो गई है। विभाग के इस व्यवस्था को चुनौती देते हुए मनीषा ठाकुर द्वार अधिवक्ता अभिषेक पांडेय एवं दुर्गा मेहर के माध्यम से हाईकोर्ट के समक्ष रिट याचिका दायर की।
नेशनल कांउसिल ने कर दी है वैधता आजीवन
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिषेक पांडेय ने कोर्ट के समक्ष पैरवी करते हुए तर्क प्रस्तुत किया कि पूर्व में शिक्षक पात्रता परीक्षा की वैधता सात वर्ष के लिए की गई थी परंतु 9 जून 2021 को नेशनल काउंसिल फार टीचर एजुकेशन द्वारा टीईटी परीक्षा की वैधता आजीवन कर दी गई थी। उसके बाद 26 जून को 2021 को छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा एक सर्कुलर जारी कर शिक्षक पात्रता परीक्षा की वैधता आजीवन कर दिया गया है। याचिकाकर्ता ने टीईटी की परीक्षा 2011 में पास कर ली है। इसके तहत 2021 जून में जारी आदेश के तहत याचिकाकर्ता पात्र है।