BHILAI. बुधवार को शहर में दशहरा और दुर्गोत्सव उत्सव की धूम रही। तमाम जगह रावण का दहन किया गया। लेकिन माइलस्टोन अकेडमी का कार्यक्रम दर्शकों के लिए कुछ खास रहा। रावण दहन से पहले नन्हे-मुन्ने राम, लक्ष्मण, हनुमान समेत वानर सेना पहुंची। जब रथ पर सवार नन्हे श्रीराम ने तुतलाते हुए कहा’ लावन छावधान तो अभिभावकों और टीचर्स की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
इस खास कार्यक्रम में नन्हे-मुन्ने घाघरा-चोली और कुर्ता-पायजामा पहने और हाथों में डांडिया थामे नजर आए। इसके अलावा टीचर्स के सवालों का रोचक अंदाज में जवाब, रामलीला में टीचर्स की अदाकारी और मां दुर्गा की पूजा ने आकर्षित किया। यानी मनोरंजन और ज्ञान पर संपूर्ण पिटारा देखने को मिला। अवसर था यहां दुर्गोत्सव और विजयादशमी उत्सव का।
अभिभावक पहले तो अपने बच्चों की कलाकारी से खुश थे। बाद में टीचर्स की रामलीला में प्रस्तुति से भावविभोर हुए। अंत में सभी ने एक स्वर में कहा- दिल खुश हो गया।
सबसे पहले शाम को माइलस्टोन अकादमी जूनियर में नन्हे-मुन्ने बच्चों की ओर से डांडिया की प्रस्तुति दी गई। खास ये कि माइलस्टोन अकादमी में कोई भी कार्यक्रम होता है तो उसमें ज्ञान और मनोरंजन दोनों का समावेश होता है| इसी कड़ी में विजयादशमी उत्सव में भी ये सब देखने को मिला।
कार्यक्रम की शुरुआत डायरेक्टर मैडम डॉ. ममता शुक्ला की ओर से मां दुर्गा की पूजा-आरती से की गई| फिर बच्चों की डांडिया की प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया। इसे स्कूल के पीजी-2, एलकेजी, यूकेजी और क्लास एक और दाे के बच्चों ने प्रस्तुत किया। लड़कियां जहां घाघरा चोली में तो लड़के कुर्ता पाजामा पहनकर मंच पर पहुंचे थे। डांडिया की प्रस्तुति देने के साथ ही टीचर्स ने उनसे और उनके अभिभावकों से एक से बढ़कर एक रोचक प्रश्न भी पूछे।
नन्हे बच्चों के मुंह से तोतली आवाज में जब सही-सही उत्तर सुने तो माता-पिता भी गदगद हो गए और गौरवान्वित महसूस किए।
खुशी में निकले आंसू
डांडिया के बाद अकादमी के ही टीचर्स ने रामायण की बहुत सुंदर प्रस्तुति दी। पेरेंट्स भी यह सब देखकर बहुत अच्छा महसूस कर रहे थे | उनकी खुशी तब और बढ़ गई, जब कुछ पेरेंट्स रामायण के कुछ सीन को देखकर ऐसे भावविभोर हुए कि उनकी आँखों में आंसू भी आ गए | उनका कहना था कि माइलस्टोन में जो भी कार्यक्रम होता है वह एक सिस्टम से होता है। यह इस विद्यालय की बहुत बड़ी खूबी है। बच्चों को कुछ भी सिखाया जाता है तो एकदम आधार में रहकर सिखाते हैं। यानी उसे बालमन अपने अंदर आसानी से बैठा लेता है| शिक्षकों के लगन की भी भूरि-भूरि प्रशंसा की।