INDORE NEWS. इंदौर में लव जिहाद फंडिंग के आरोपों में घिरे पूर्व पार्षद अनवर कादरी को फिलहाल राहत नहीं मिली है। जिला अदालत में दायर उनकी जमानत याचिका अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश यतेश शिशौदिया की अदालत ने खारिज कर दी।

कादरी ने जमानत आवेदन में दावा किया था कि वे पिछले 15–16 साल से पार्षद रहे हैं। जेल में रहने से सामाजिक प्रतिष्ठा प्रभावित हो रही है। उन्होंने वर्तमान भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि उन्हें पार्टी जॉइन करने के लिए दबाव बनाया गया, इनकार करने पर झूठे केस में फंसाया गया।
अदालत ने शासन पक्ष की आपत्तियां सुनने के बाद दलीलों को स्वीकार नहीं किया। अनवर कादरी इंदौर नगर निगम के वार्ड 58 से पार्षद थे। 5 नवंबर को संभागायुक्त डॉ. सुदाम खाड़े ने आदेश जारी कर न सिर्फ उनका पार्षद पद समाप्त किया, बल्कि आगामी पांच वर्ष तक किसी भी चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य भी घोषित कर दिया।

पहले से दर्ज हैं कई अपराध
महापौर पुष्यमित्र भार्गव की अनुशंसा पर नगर निगम के विशेष सम्मेलन में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया गया था। कादरी के खिलाफ पहले से ही मारपीट, धमकी, लूट, जानलेवा हमला, हत्या, धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम और आर्म्स एक्ट सहित कई गंभीर धाराओं में एक दर्जन से अधिक अपराध दर्ज हैं।
लव जिहाद का आरोप
कादरी पर मुख्य आरोप यह है कि उन्होंने कथित तौर पर दो युवकों को पैसा देकर हिंदू युवतियों को प्रेमजाल में फंसाने, धर्मांतरण और देह व्यापार की ओर धकेलने के लिए उकसाया। यह मामला तब उजागर हुआ जब जून में एक वीडियो सामने आया, जिसमें दोनों युवकों ने कादरी का नाम लेते हुए स्वीकारोक्ति जैसी बातें कीं।

फरार हो गया था कादरी
बाणगंगा थाना क्षेत्र में दो युवकों पर दो युवतियों से रेप और धर्म परिवर्तन के लिए दबाव बनाने का केस दर्ज हुआ था, जांच में कादरी का नाम जुड़ा। पुलिस ने मुख्य आरोपी को पहले ही पकड़ लिया था, जबकि कादरी करीब तीन महीने फरार रहे।

उन पर 40 हजार रुपए का इनाम घोषित कर इंदौर, दिल्ली सहित कई शहरों में दबिश दी गई। इसी दौरान उनकी बेटी आयशा भी पिता को छिपाने में मदद के आरोप में गिरफ्तार हुई। अंततः 29 अगस्त को अनवर कादरी ने जिला अदालत में सरेंडर किया, जहां से वे अब तक न्यायिक हिरासत में हैं और उनकी जमानत याचिका भी खारिज हो चुकी है।



































