BILASPUR NEWS. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की वर्ष 2010 की ग्रुप-डी भर्ती से जुड़े बहुचर्चित मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बड़ा निर्णय सुनाया है। अदालत ने रेलवे द्वारा दायर सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) के आदेश को सही ठहराया है। इस फैसले से लम्बे समय से नियुक्ति का इंतजार कर रहे 100 से अधिक उम्मीदवारों को राहत मिल गई है।

हाईकोर्ट में रेलवे ने CAT के 6 मार्च 2024 के आदेश को चुनौती दी थी। CAT ने अपने आदेश में रेलवे को निर्देश दिया था कि वर्ष 2010 की अधिसूचना के अनुसार रिक्त पदों का ऑडिट किया जाए और यदि पद खाली हैं तो चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति दी जाए। रेलवे का तर्क था कि चयन पैनल में शामिल होना नियुक्ति का अधिकार नहीं देता, लेकिन उच्च न्यायालय ने इस तर्क को अस्वीकार करते हुए कहा कि पैनल नियमों के अनुसार तैयार किया गया था और योग्य अभ्यर्थियों को निष्पक्ष विचार का कानूनी अधिकार है।

अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि पद रिक्त हैं तो उन्हें भरने से इनकार करने के लिए रेलवे के पास ठोस और वैध कारण होने चाहिए। अदालत ने कहा कि चयन पैनल को बिना किसी उचित आधार के नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। योग्य उम्मीदवारों के हितों की उपेक्षा करना नियमों के खिलाफ है।

हाईकोर्ट ने रेलवे को चार महीने की निर्धारित समयसीमा में पूरी प्रक्रिया पूरी करने के आदेश दिए हैं। इसमें रिक्त पदों का विस्तृत ऑडिट, चयन पैनल की समीक्षा और योग्य उम्मीदवारों को नियुक्ति आदेश जारी करना शामिल है। अदालत ने पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से पूरा करने पर भी जोर दिया।

वर्ष 2010 में निकली इस भर्ती से हजारों अभ्यर्थी जुड़े थे, लेकिन प्रक्रिया के लंबित होने से वे वर्षों तक नियुक्ति का इंतजार करते रहे। अब हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद लगभग 14 वर्षों से अटकी उम्मीदों को नई रोशनी मिली है। अभ्यर्थियों ने निर्णय का स्वागत करते हुए इसे न्याय की बड़ी जीत बताया है।


































