BILASPUR NEWS. बिलासपुर हाईकोर्ट ने पुश्तैनी जमीन पर मालिकाना हक का दावा करने वाली महिला की याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि 7 रुपए के स्टाम्प पर लिखे दस्तावेज या दुसरस्ती पत्र से किसी संपत्ति पर अधिकार साबित नहीं किया जा सकता, जब तक उसकी रजिस्ट्री विधिवत दर्ज न हो।

मामला कोटा क्षेत्र के पीपरटारी गांव का है। 74 वर्षीय भारती सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि गांव में खसरा नंबर 825/3 की 0.56 एकड़ जमीन उनकी पुश्तैनी संपत्ति है। पारिवारिक बंटवारे में यह जमीन उनके पिता के हिस्से में आई थी, लेकिन रिकॉर्ड दर्ज करने में गलती से गांव के ही भरत सिंह के पिता के नाम दर्ज हो गई।

गलती पता चलने पर 19 अप्रैल 1985 को 7 रुपए के स्टाम्प पर दुसरस्ती पत्र लिखा गया और 22 अप्रैल 1985 को नामांतरण किया गया। इसी दस्तावेज के आधार पर भरत सिंह ने कोर्ट में स्वामित्व का दावा और स्थायी रोक का आदेश जारी करने की मांग की।

महिला ने बचाव में कहा कि उसने जमीन ₹5,000 में खरीदी थी, जबकि भरत सिंह का कहना था कि यह केवल सुधार का समझौता था। कोर्ट ने कहा कि यदि जमीन खरीदी गई थी, तो दुसरस्ती पत्र नहीं, बल्कि बिक्री से जुड़ा दस्तावेज होना चाहिए था।

निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए हाईकोर्ट की जस्टिस पी.पी. साहू की सिंगल बेंच ने भी दूसरी अपील को खारिज कर दिया और कहा 7 रुपए के स्टाम्प पर लिखा दुसरस्ती पत्र किसी संपत्ति पर मालिकाना हक नहीं देता। इस आदेश के साथ ही महिला की याचिका को अंतिम रूप से खारिज कर दिया गया।




































