RAIPUR NEWS. अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का 9वां राष्ट्रीय अधिवेशन सोमवार को जयपुर में संपन्न हुआ। तीन दिवसीय इस अधिवेशन में देशभर के 28 राज्यों से 3500 से अधिक शिक्षकों ने भाग लिया। छत्तीसगढ़ प्रांत से भी शैक्षिक महासंघ के पदाधिकारी शामिल हुए।
प्रांत संयोजक डॉ. आर. डी. शर्मा ने बताया कि अधिवेशन में शैक्षिक उन्नयन, शिक्षकों की समस्याएं, शिक्षा, समाज, संस्कृति और सुरक्षा से जुड़े 10 तकनीकी सत्र आयोजित किए गए।
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि शिक्षक राष्ट्र निर्माता हैं, जो समाज की दिशा और दशा दोनों तय करते हैं। इस अवसर पर ‘हमारा विद्यालय, हमारा तीर्थ’ पुस्तक, अधिवेशन की स्मारिका और महासंघ का वार्षिक कैलेंडर भी जारी किया गया।
समारोह में राजस्थान के उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बेरवा एवं शिक्षा मंत्री मदन दिलावर भी उपस्थित रहे। अधिवेशन के दौरान उदयपुर के प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा, दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रो. सुषमा यादव और केरल के बी.जे. श्रीकुमार को “शिक्षा भूषण सम्मान” से सम्मानित किया गया।
आचार्य अवधेशानंद गिरी ने कहा कि “गुरु ही बालक के सृजन, पालन और आज्ञान का संहार करता है। वहीं आरएसएस के पूर्व सह-सरकार्यवाह सुरेश सोनी ने भारतीय शिक्षा की अवधारणा पर बोलते हुए कहा कि “गुरु-शिष्य परंपरा ही ज्ञान की वास्तविक संवाहक है।
राज्यसभा सदस्य सुधांशु त्रिवेदी ने अपने वक्तव्य में कहा कि अब समय आ गया है कि हम मैकाले और मार्क्स के प्रभाव से मुक्त होकर भारतीय जीवन पद्धति पर आधारित मानवीय शिक्षा प्रणाली अपनाएं।
कार्यक्रम में एनसीईआरटी निदेशक प्रो. डी.पी. सकलानी, महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. नारायण लाल गुप्ता, महामंत्री गीता भट्ट, और राष्ट्रीय संगठन मंत्री महेंद्र कपूर ने भी संबोधित किया।
छत्तीसगढ़ से शामिल हुए प्रतिनिधियों में डॉ. आर.डी. शर्मा (प्रांत संयोजक), डॉ. श्यामलाल निराला (अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय अध्यक्ष), डॉ. फूलदास महंत (महामंत्री), डॉ. एस.के. श्रीवास्तव (संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय अध्यक्ष) और डॉ. नरेंद्र त्रिपाठी (कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय अध्यक्ष) प्रमुख रहे।
अधिवेशन में शिक्षकों की समस्याओं एवं उनके समाधान के लिए कई प्रस्ताव पारित किए गए। डॉ. शर्मा ने बताया कि महासंघ जल्द ही प्रदेश के शिक्षा मंत्री एवं उच्च शिक्षा मंत्री से मिलकर शिक्षकों की समस्याओं पर विस्तार से चर्चा कर उनका शीघ्र निराकरण कराने का अनुरोध करेगा।