RAIPUR NEWS. छत्तीसगढ़ में आए दिन सरकारी अस्पतालों में लापरवाही के कारण प्रसुताओं और नवजात बच्चों की मौत के मामले सामने आते रहता हैं। इस बार राजधानी रायपुर के बीरगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य कर्मियों की बड़ी लापरवाही सामने आई। इसके कारण जन्म लेने के 12 घंटे के भीतर ही एक बच्ची के सिर से मां का साया उठ गया। मां बनने की खुशी का सपना लेकर अस्पताल गई साक्षी लचर स्वास्थ्य व्यवस्था के कारण काल के ग्रास में समा गई।
दरअसल, छत्तीसगढ़ की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था ने पैदा होने के 12 घंटे के भीतर की बच्ची से मां का साया छीन लिया। सरकारी लापरवाही के कारण जन्म देन के 10 घंटे में गलत इलाज के कारण इस बच्ची की मां की मौत बीरगांव के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हो गई। रावाभाठा में रहने वाली 24 साल की साक्षी को जब प्रसव का समय पूरा हो गया तो परिवार वालों ने उसे सोमवार को पास के ही बीरगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती करा दिया। दोपहर लगभग 4 साढ़े 4 बजे साक्षी ने स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया। घर में खुशियां पसर गई, हर कोई जच्चा बच्चा को बधाई और आर्शीवाद देने पहुंचने लगा, लेकिन क्या पता की इनकी खुशियां मातम में बदलने वाली है।
कमरा बंद कर सो रहा था नर्सिंग स्टाफ
वहीं रात लगभग ड़ेढ बच्चे साक्षी को बेचैनी लगने लगी। पेट एठने लगा। ऐसे में बुआ पार्वती ने दामाद महेंद्र को डॉक्टर को बुलाने कहा। पति महेंद्र पहली मंजिल से नीचे डॉक्टर को बुलाने गया, तो पता चला की ड्यूटी किसी और डॉक्टर उपाध्याय की है लेकिन वो तो है ही नहीं। जिसके बाद महेंद्र दौड़ता हुआ नर्सिंग स्टाफ को कमरा नंबर 17 में बुलाने गया, लेकिन ये कमरा अंदर से बंद था। नर्सिंग स्टाफ अनुपम कमरा अंदर से बंद कर सो रहा था। देर तक दरवाजा खटखटाने के बाद उसने दरवाजा खोला और महेंद्र पर नराज होकर ऊपर आया। ऊपर आकर इलाज करने की बजाए वह प्रसूता और परिजनों को डांटने लगा की ये लोग तंग कर रहे हैं।
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वहीं पार्वती और महेंद्र ने बताया कि, लगातार साक्षी की तकलीफ बढ़ रही थी। इलाज करने या डॉक्टर को बुलाने की बजाए नर्सिंग स्टाफ तीन बार वापस जाकर सो गया, एक बार भी रुकना मुनासिब नहीं समझा। चौथी बार जब तकलीफ बढ़ गई तो पति फिर उसे बुलाने गया। इस बार अनुपम ने धमकाते हुए कहा कि, वो उन लोगों को मेकाहार भेजा देगा। इसके साथ ही नर्सिंग स्टाफ अनुपम साक्षी के परिजनों को उसे बार-बार पानी पिलाने के लिए धमकाता रहा। घर वाले मना करते रहे लेकिन अनुपम की डांट सुनकर उन्हें साक्षी को पानी पिलाना पड़ा। इसके बाद अनुपम ने साक्षी को एक इंजेक्शन लगाया और लौट गया, लेकिन पांच मिनट में ही साक्षी की तबीयत बिगड़ गई। सांस अटकने लगी और वह बेसुध स्थिति में भी तेजी से हिलने लगी। मुंह से सांस लेने लगी और अचानक सब कुछ थम गया। साक्षी की आखें पलट गई। घर वालों को लगा की बेहोशी का इंजेक्शन हैं इंजेक्शन लगने के कुछ देर में ही उन्हें लगा की कोई दिक्कत जरुर है। महेंद्र फिर एक बार नर्सिंग स्टाफ को बुलाने गया। इस बार धमकाते हुए ऊपर आया और कहने लगा की साक्षी नौटंकी कर रही है। यह कह कर उसने मुंह पर पानी मार दिया, लेकिन साक्षी के शरीर में कोई हरकत नहीं हुई।
साक्षी के ससुर भगत ने जब नब्ज देखकर आक्सीजन लगाने कहा तो वह बगले झांकने लगा, लेकिन आक्सीजन मास्क नहीं मिला। इसके बाद उसने साक्षी को मेकाहार ले जाने कहा जैसे-तैसे परिजन साक्षी को लेकर मेकाहारा पहुंचे। यहां बाहर ही डाक्टरों ने बताया कि, साक्षी की मौत हो चुकी है। निराश परिवार साक्षी के शरीर को लेकर फिर बीरगांव पहुंचा, ताकि नाराजगी जताकर सवाल कर सके लेकिन यहां अब भी ड्यूटी डॉक्टर नहीं पहुंचे, जिसके बाद नाराज लोगों ने अस्पताल में नाराजगी जताई। फिर ड्यूटी में गायब डाक्टर और लापरवाही बरतने वाले नर्सिंग स्टाफ के खिलाफ एफआईआर करने की मांग लेकर खमतराई का घेराव कर दिया।
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CMHO ने नहीं दी स्पष्ट जानकारी
वहीं, जानकारी मिलने पर मीडिया की टीम अस्पताल पहुंची तो यहां हेल्प डेस्क या रिसेप्शन पर कोई भी नहीं मिला, न ही कहीं कोई ड्यूटी रोस्टर मिला। इससे यह पता चले की बीती रात यहां किसी डॉक्टर और स्टाफ की ड्यूटी थी, मौके पर मौजूद डॉक्टर और नर्सों ने भी जांच का हवाला देकर कुछ भी बताने से इंकार कर दिया। इधर मौके पर जाकर आए CMHO मिथलेश चौधरी ने भी कुछ स्पष्ट नहीं कहा और जांच चलने की बात कही।
बीते मामलों की तहर इसमें भी निलंबन, बर्खात्सगी और शायद एफआईआर भी हो जाए, लेकिन बड़ा सवाल ये है की स्वास्थ्य विभाग में ऐसी भर्रासाही और लापरवाही आखिर कब तक चलती रहेगी जिसका खामियाजा लोग अपनी जान देकर चुकाते रहेंगे। एक सवाल यह भी है की आखिर अब इस नन्हीं जान को मां का प्यार और परवरिश कैसे मिलेगी, क्या स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस कमी को कुछ भी कर पूरा कर पाएगें।