RAIPUR NEWS. रानी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती के अवसर पर आज रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने रानी अहिल्याबाई होल्कर को भारत की सांस्कृतिक एकता, सुशासन और प्रजा कल्याण की मिसाल बताया।
बता दें, संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे मुख्यमंत्री साय ने कहा, “रानी अहिल्याबाई होल्कर का शासन प्रजा कल्याण, राष्ट्र निर्माण और न्याय का स्वर्ण युग था। उन्होंने अपने शासनकाल में जो लोकहितकारी निर्णय लिए, वे आज भी प्रेरणास्रोत हैं।” उन्होंने रानी अहिल्याबाई के काशी विश्वनाथ और सोमनाथ मंदिरों के पुनर्निर्माण में दिए गए योगदान को ऐतिहासिक बताते हुए उन्हें “रामराज्य” की कल्पना को साकार करने वाली शासिका करार दिया।
प्रमुख वक्ता ने रानी अहिल्याबाई की न्यायप्रियता को बताया अनुकरणीय
मध्यप्रदेश सरकार के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि रानी अहिल्याबाई होल्कर ने विपरीत परिस्थितियों में भी धर्म और न्याय की रक्षा की। “उन्होंने राजकोष का कभी व्यक्तिगत उपयोग नहीं किया और प्रजाहित को सर्वोपरि रखा। न्याय के लिए उन्होंने अपने ही पुत्र को मृत्युदंड देने से परहेज नहीं किया,” पटेल ने कहा। उन्होंने बताया कि रानी अहिल्याबाई ने विधवाओं को दत्तक पुत्र लेने की अनुमति दी और समाज सुधार की दिशा में साहसिक निर्णय लिए। उनके कार्यों के चलते ही उन्हें “लोकमाता” की उपाधि मिली।
विधायकों और गणमान्यजनों ने साझा कीं प्रेरणादायी स्मृतियाँ
इस अवसर पर विधायक किरण देव और छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष नारायण चंदेल ने भी रानी अहिल्याबाई के व्यक्तित्व और शासन की विशेषताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि “उनका जीवन और कार्य आज भी सामाजिक समरसता और जनसेवा की प्रेरणा देते हैं।”
संगोष्ठी में केन्द्रीय मंत्री तोखन साहू, कृषि मंत्री रामविचार नेताम, विधायकगण सुनील सोनी, मोतीलाल साहू और पुरंदर मिश्रा सहित अनेक विशिष्टजन उपस्थित रहे। धनकर समाज के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री साय को रानी अहिल्याबाई होल्कर का तैलचित्र भेंट कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर रायपुर नगर निगम की महापौर मीनल चौबे, राज्य युवा आयोग के अध्यक्ष विश्व विजय सिंह तोमर, पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय, सीएसआईडीसी के पूर्व अध्यक्ष छगन मूंदड़ा, शंकर अग्रवाल सहित अनेक निगमों, मंडलों, आयोगों के पदाधिकारी और युवा बड़ी संख्या में उपस्थित थे।