RAIPUR NEWS. छत्तीसगढ़ में सरकारी नौकरी से निकाले गए B.Ed सहायक शिक्षक शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। हटाए गए सहायका शिक्षकों को आंदोलन सोशल मीडिया पर खूब ट्रेंड कर रहा है।बता दें कि रायपुर के तूता धरना स्थल पर 2,897 बर्खास्त B.Ed. प्रशिक्षित सहायक शिक्षक धरने पर हैं। हालांकि, इस दौरान एक महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दा जो मीडिया और जनमानस का केंद्र बना, वह था बी.एड. प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों का आंदोलन।
दरअसल, धरने पर बैठे इन सहायक शिक्षकों को डेढ़ वर्ष की सेवा के पश्चात बर्खास्त कर दिया गया था, जिससे वे पिछले कई महीनों से अपनी सेवा बहाली के लिए संघर्ष कर रहे हैं। प्रधानमंत्री के छत्तीसगढ़ दौरे से पहले, इन शिक्षकों ने बिलासपुर में अपनी सेवा सुरक्षा की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। आचार संहिता से पहले भी करीब डेढ़ महीने तक अलग-अलग तरीके से प्रदर्शन किया गया था।
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पीएम मोदी के आगमन के समय, सोशल मीडिया पर यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया। ट्विटर पर “ModiJi Support CGBEd” के नाम से यह मुद्दा ट्रेंड करता रहा, जो शाम 4:00 बजे से लेकर रात 10:00 बजे तक शीर्ष रुझानों में शामिल रहा। इस सोशल मीडिया अभियान ने पूरे देश का ध्यान इस महत्वपूर्ण समस्या की ओर आकर्षित किया। भारत के मुख्यधारा मीडिया ने भी इस खबर को कवर किया और यह बताया कि कैसे बी.एड. प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों का भविष्य अनिश्चितता में लटक रहा है।
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सोशल मीडिया के माध्यम से लाखों लोगों ने इन शिक्षकों के समायोजन के समर्थन में अपनी आवाज उठाई और सरकार से इस विषय पर पुनर्विचार करने की मांग की। बी.एड. प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों ने इस ट्रेंड और मीडिया कवरेज को अपनी लड़ाई में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया है। उन्होंने सरकार से अपील की है कि उनकी सेवा सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए और उन्हें उनके हक का न्याय मिले।
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बी.एड. प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों ने कहा कि उन्हें आशा है कि उनकी पीड़ा आदरणीय प्रधानमंत्री जी तक पहुंची होगी क्योंकि नरेंद्र मोदी जी जनहित के फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं। यदि यह मुद्दा उन तक पहुंचा है, तो हमें विश्वास है कि हमारा जल्द ही समायोजन होगा।
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बता दें कि पिछले दिनों ही इस बार अभ्यर्थियों ने खून से मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को लेटर लिखा है। उन्होंने सरकार से समायोजन की मांग की थी। शिक्षकों का कहना है कि, वे लंबे समय से शांतिपूर्ण विरोध कर रहे थे, लेकिन जब कोई समाधान नहीं निकला तो उन्होंने यह कदम उठाया। 8 मार्च के सहायक शिक्षकों के आंदोलन का दूसरा चरण जारी है।