BILASPUR NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में अनुकंपा नियुक्ति के लिए भटक रहे बेटे को न्याय मिला है। पिता की मौत के बाद से अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन दिया था लेकिन उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र के चलते बार-बार इस से उधर दौड़ाया गया। उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र बनने के बाद भी याचिकाकर्ता को राहत नहीं मिली। इसलिए थक हार कर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अब 20 साल के बाद कोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति के आदेश दिया है। मामले की सुनवाई जस्टिस राकेश मोहन पांडेय के बेंच में हुई।
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बता दें, बिलासपुर के कपिल नगर सरकण्डा निवासी सिकंदर खान ने अधिवक्ता अब्दुल बहाव खान के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने बताया था कि उसके पिता स्वर्गीय शिवकुमार साहू पुलिस अधीक्षक कार्यालय बिलासपुर में आरक्षक के पद पर पदस्थ थे। सेवाकाल के दौरान 26 मार्च 2004 को उनकी मृत्यु हो गई थी।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया उसकी मां रजिया बेगम को मृतक की पत्नी होने के नाते परिवार पेंशन मिल रहा है। मृतक के खाते में जमा विभिन्न मदों की राशि के भुगतान के संबंध में उसने व मां रजिया बेगम व अन्य उत्तराधिकारियों ने उत्तराधिकार प्रमाण पत्र भी प्राप्त कर लिया था। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में इस बात की भी जानकारी दी है कि अनुकंपा नियुक्ति मिलने के संबंध में रिश्तेदारों ने भी कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई है। सभी ने अपनी सहमति भी दे दी है। इसके बाद भी विभाग द्वारा उससे उत्तराधिकार प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है।
प्रमाण पत्र पेश ना करने के कारण उसे अनुकंपा नियुक्ति से वंचित किया जा रहा है। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि अनुकंपा नियुक्ति के संबंध में उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र की बाध्यता नहीं है। इस तरह का प्रमाण पत्र मांगा जाना विधि के विपरीत है। पुलिस विभाग द्वारा याचिकाकर्ता को उत्तराधिकार प्रमाण पत्र मांगे जाने संबंधी आदेश को कोर्ट ने रद करते हुए डीजीपी व बिलासपुर एसपी को याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति देने विभागीय प्रक्रिया का पालन करने का निर्देश दिया है।