BILASPUR NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में तलाक का एक मामला सामने आया है। इस मामले में पति ने हाईकोर्ट से याचिका दायर कर पत्नी से तलाक की मांग की है। याचिका में बताया गया कि जब वो ड्यूटी पर था तब उसकी पत्नी ने उसे फोन किया था। तब उसने पत्नी से बात करते हुए बाद में बात करता हूं ओके कहा। इस पर उसके सहकर्मी ने सिग्नल को क्लीयर करने के लिए ओके समझा और सिग्नल दे दिया। इससे पति को निलंबित कर दिया गया। काम के दौरान फोन कर परेशान करना को हाईकोर्ट ने मानसिक क्रूरता माना है और तलाक को मंजूरी दी है।
बता दें, याचिकाकर्ता विशाखापत्तनम निवासी स्टेशन मास्टर की 12 अक्टूबर 2011 को चरोदा भिलाई निवासी युवती से हिन्दू रीति रिवाज से शादी हुई थी। 14 अक्टूबर 2014 को पति विशाखापत्तनम में रिसेप्शन आयोजित किया। इससे उसकी पत्नी विचलित व खुश नहीं थी। रात में उसने पति को बताया कि उसका इंजीनियरिंग कॉलेज के ग्रंथपाल के साथ प्रेम प्रसंग है। वह उसके साथ कई बार शारीरिक संबंध बनाई है। उसे भूल नहीं सकती।
पति ने इस बात की जानकारी उसके पिता को दी। पिता ने भविष्य में ऐसा नहीं करेगी कहा व इसकी गारंटी भी ली। इसके बाद पत्नी उसके बाजू में रहकर प्रेमी से बात करती थी। एक रात ड्यूटी में था तब उसकी पत्नी का फोन आया और फोन पर ही झगड़ा करने लगी। तब पति ने उसे घर आकर बात करेंगे कहा और अंतिम शब्द ओके कहा। माइक में ओके शब्द सुनकर साथ में काम कर रहे दूसरे स्टेशन मास्टर ने रेलगाड़ी को रवाना करने सिग्नल दे दिया।
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नक्सल क्षेत्र होने के कारण उस खंड में रात 10 बजे से सुबह 6बजे तक रेल यातायात निषेधित है। इसके कारण रेलवे को तीन करोड़ का नुकसान हुआ और पति को निलंबित कर दिया। लगातार पत्नी द्वारा प्रताड़ित किए जाने पर उसने तलाक के लिए विशाखापत्तनम परिवार न्यायालय में आवेदन दिया। इसके बाद पत्नी ने 498 के तहत पति उसके 70 वर्षीय पिता शासकीय सेवक बड़े भाई, भाभी व मौसेरे भाई बहन के खिलाफ झूठी रिपोर्ट लिखाई। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पति के आवेदन को दुर्ग न्यायालय ट्रांसफर किया गया। दुर्ग परिवार न्यायालय से आवेदन खारिज हो गया। तब पति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
झूठा आरोप लगाया पति पर
पत्नी ने याचिकाकर्ता पति पर कई झूठ आरोप लगाए थे। इसमें यह कहा गया कि उसका उसकी भाभी के साथ अवैध संबंध है। जबकि याचिकाकर्ता ने बताया कि मां का निधन 2004 में हो गया था। जब उसकी शादी हुई तो भाभी ने ही मां के सभी फर्ज पूरे किए थे। भाभी को मां के समान ही मानता है। वहीं याचिकाकर्ता पति के पिता, भाई-भाभी और दूर के रिश्तेदारों के खिलाफ भी झूठा केस दर्ज किया था। साथ ही दहेज का झूठा इल्जाम भी लगाया।
कोर्ट ने कहा मानसिक क्रूरता है ये
कोर्ट में मामले की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे व जस्टिस संजय कुमार जायसवाल के बेंच में हुई। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना और सबूतों के आधार पर पति के पक्ष में फैसला सुनाते हुए तलाक को मंजूरी दी है। साथ ही कार्यस्थल पर फोन लगाकर पति से लड़ाई करना और इससे पति के ओके कहने का मतलब गलत समझकर सहकर्मियों ने सिग्नल दे दिया। इससे नौकरी से निलंबित होना यह भी बहुत दुखदायी है।