BILASPUR NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रेलवे की ओर से काटे गए 242 पेड़ों की कटाई के मामले को गंभीरता से लिया था। इस पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के तौर पर सुनवाई शुरू की थी। पहली सुनवाई में कोर्ट ने रेलवे प्रशासन ने जवाब मांगा था। बुधवार को एक बार फिर से मामले की सुनवाई हुई। जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस एके प्रसाद के बेंच में सुनवाई की गई। कोर्ट ने रेलवे के अफसरों को सुनवाई के दौरान कहा कि भविष्य में इस तरह का कार्य करने से पूर्व पर्यावरण व जनहित का ध्यान रखना होगा। इसके साथ याचिका को निराकृत कर दिया गया।
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बता दें, वंदे भारत ट्रेनों के मेंटनेंस के लिए एसईसीआर के अधिकारियों ने 242 पेड़ों को काट दिया था। इस विषय में मीडिया में कई खबरे सामने आयी। जिसमें बताया गया कि रेलवे के अफसरों ने पेड़ों की कटाई से पहले वन विभाग से अनुमति नहीं ली है और पर्यावरण संतुलन का भी ध्यान नहीं रखा है। ऐसे में हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने मामले को गंभीरता से लिया और स्वतः ही संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू कर दी थी।
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इसके बाद डिवीजन बेंच ने रेल अफसरों के साथ ही केन्द्र सरकार और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर इस विषय में जवाब मांगा था। रेलवे ने जवाब पेश किया जिसमें बताया कि 6 जुलाई 2023 को जरूरी संशोधन किया गया है। पेड़ों की कटाई के नियम 2022 के नियम 5 के तहत केन्द्र व राज्य सरकार के परियोजना एल योजना, आवंटी विभाग, यनिकाय व संस्था पर स्थित वृक्षों को काट सकता है।
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राज्य सरकार व केन्द्र सरकार का आया जवाब
याचिका की सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार की ओर से जवाब दिया गया कि 25 नवंबर 2024 को इस संबंध में शपथ पत्र के साथ जवाब पेश किया गया था। जवाब में रेलवे की ओर से कोर्ट को जानकारी दी थी कि पेड़ों की कटाई से पहले वन विभाग से अनमुति के लिए पत्र लिखा गया था। साथ ही पेड़ों की कटाई से पहले विशेषज्ञों की सलाह भी ली थी। वानिकी व वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञ नेहा बंसोड़ से 8 जुलाई 2024 को रिपोर्ट मांगी गई और 15 जुलाई को उन्हें सौंपी गई। इसके पहले डीएफओ को पत्र लिखकर पेड़ कटाई की अनुमति मांगी गई थी।