RAIPUR NEWS. नागरिक आपूर्ति निगम (नान) घोटाले के आरोपी IAS अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला ने अग्रिम जमानत के लिए एक हाईकोर्ट जज को प्रभावित किया। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशाल (ईडी) और छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा एक हाई कोर्ट जज पर लगाए गए गंभीर आरोपों की जांच का निर्णय लिया है। जस्टिस एएस ओका और एजी मसीह की पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से इन मामलों में कुछ सबूतों की मांग की। उन्हें जानना था कि क्या जमानत पाए इन अफ़सरों ने जमानत का दुरुपयोग करते हुए सबूतों से छेड़छाड़ की है? और क्या उन्होंने जज को प्रभावित किया।
इस दौरान जनरल एसवी राजू ने कहा कि ईडी ने सबूतों को सीलबंद लिफाफे में पेश किया था, लेकिन अभी अदालत को ये मिल नहीं रहे हैं। उन्होंने सबूत दोबारा दाखिल करने की पेशकश की। ऐसी दीमकों को न्यायिक प्रणाली को कमजोर करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि, राज्य ने हलफनामों में पूर्व नौकरशाहों, तत्कालीन महाधिवक्ता और जज के बीच सांठगांठ के सबूत के तौर पर व्हाट्सएप चैट के विवरण शामिल किए हैं। जेठमलानी ने यह भी कहा कि, तत्कालीन महाधिवक्ता धोखाधड़ी में शामिल है और जमानत देने में मदद की।
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इस मामले में आरोपियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने तर्क किया कि, छत्तीसगढ़ सरकार का इस मामले में कोई लेना- देना नहीं है, क्योंकि यह विवाद केवल आरोपियों और ईडी के बीच है। रोहतगी ने तर्क किया कि, ये हलफनामे अदालत में चल रही प्रक्रिया के संदर्भ में निरर्थक हैं, खासकर जब ईडी मामले की सुनवाई को राज्य से बाहर ले जाने की कोशिश कर रहा है। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 8 नवंबर को तय करते हुए कहा कि, उसे आरोपी, पूर्व एजी और न्यायाधीश के बीच कथित सांठगांठ पर ईडी और राज्य सरकार द्वारा पेश किए गए सबूतों की जांच करनी चाहिए।