BILASPUR. हाईकोर्ट ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने के आरोपति की सजा को 354 एवं 324 में परिवर्तित किया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि जहां तक सजा का सवाल है तो यह साफ है कि घटना वर्ष 2000 में घटित हुई थी। यह अपील वर्ष 2003 से लंबित है। घटना के समय आरोपित की उम्र 25 वर्ष थी। अब उसकी आयु 45 वर्ष से अधिक है। आरोपित जेल में भी रहा है। उसने स्वतंत्रता का दुरूपयोग नहीं किया है। उसे जेल भेजने से कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा नहीं होगा। यह न्यायालय की राय है कि विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों में आरोपित को सजा सुनाई जाती है तो न्याय का उद्देश्य पूरा हो जाएगा। धारा 354 और 324 के तहत वह अवधि पहले ही काट चुका है। इस आधार पर कोर्ट ने अपील को आंशिक रूप से स्वीकार किया है।
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बता दें, कांकेर जिला अंतर्गत निवासी कक्षा छठवीं की छात्रा दिसंबर 2000 को स्कूल से लौटने के बाद गांव की अन्य सहेलियों के साथ लकड़ी लेने जंगल गई थी। उसी समय आरोपित सुरेश साहू आया और कच्ची लकड़ी क्यों तोड़ रहे हो कहा। इस पर लड़कियों ने सूखी लकड़ी लेने की बात कही और डरकर गांव की ओर भागी।
उस समय आरोपित ने पीड़िता का हाथ पकड़ लिया और दांत से गाल को काटकर बलपूर्वक दुष्कर्म किया। गांव वालों को जानकारी मिलने पर वे मौके पर गए तो आरोपित भाग गया। स्वजनों ने पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई।
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पुलिस ने मेडिकल जांच के उपरांत आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 (1) एवं 324 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर न्यायालय में चालान पेश किया। मामले की सुनवाई के बाद जिला सत्र न्यायालय ने आरोपित को धारा 376 में 10 वर्ष कैद एवं धारा 324 में तीन महीने की सजा सुनाई।
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फैसले को दी हाईकोर्ट में चुनौती
जिला सत्र न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए आरोपित ने साल 2003 में हाईकोर्ट में अपील पेश की। हाईकोर्ट ने साक्ष्य एवं मेडिकल रिपोर्ट व पीड़िता सहित अन्य गवाहों के बयान का परीक्षण में पाया कि आरोपित ने दुष्कर्म का प्रयास एवं गाल को दांत से काटने के कारण धारा 324 का दोषी होना पाया। कोर्ट ने आरोपी की अपील को आंशिक रूप से स्वीकार की।