BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में दायर पेंशन याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि दस्तावेजों में अलग-अलग नाम होने के आधार पर फैमिली पेंशन को रोका नहीं जा सकता है। कोर्ट ने मृत एसईसीएल कर्मी की पत्नी की दायर याचिका में फैसला सुनाया है। साथ ही कोर्ट ने कर्मचारी की पत्नी को सेवानिवृत्ति बकाया राशि आदेश के 60 दिन के भीतर देने कहा है। यदि ऐसा न किया गया तो रिट याचिका के दाखिल होने के तिथि से 6 प्रतिशत की दर से ब्याज भी देने कहा है।
ये भी पढ़ेंः बेटे की मौत के गम को सहन नहीं कर पायी मां, फांसी लगा कर दी जान
बता दें, सुखमनिया उर्फ सुखानी व चुकनी के पति स्वर्गीय लक्ष्मण गायत्री माइंस विश्रामपुर एसईसीएल में हैमरमेन के तौर पर पदस्थ थे। सेवाकाल में ही गत 30 सितंबर 2019 को उनका निधन हो गया।
सुखमनिया और उनके बेटे ने अनुकंपा नियुक्ति और लंबित देयकों के भुगतान के लिए अधिवक्ता जयप्रकाश शुक्ला के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए सभी देयक राशियों का भुगतान करने का आदेश दिया।
इसके बाद एसईसीएल प्रबंधन ने बताया कि दस्तावेजों में इनका नाम अलग-अलग दर्ज है। इसलिए भुगतान नहीं हो सकता है। अपने नाम की समुचित घोषणा के लिए सुखमनिया ने सिविल जज सूरजपुर के यहां सिविल परिवार दाखिल किया। सिविल जज ने गत 12 अगस्त 2022 को इनके पक्ष में डिक्री पारित कर दी। बताया गया कि सारे नाम याचिकाकर्ता के ही है। इस बीच याचिकाकर्ता के बेटे आलोक को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान कर दी गई।
कोर्ट ने कहा जल्द दे बकाया राशि
मामले की सुनवाई जस्टिस सचिन सिंह राजपूत के बेंच में हुई। कोर्ट को एसईसीएल ने बताया कि हमने सीएमपीएफ कमिश्नर जबलपुर को प्रकरण भेज दिया था। कोर्ट ने याचिका को याचिका को स्वीकार किया और कहा कि सेवानिवृत्ति की बकाया राशि इस आदेश की प्रति प्राप्त होने की तिथि से 60 दिन के भीतर की जाए।
यदि ऐसा न किया गया तो इस रिट याचिका के दाखिल होने की तिथि 11 अप्रैल 2023 तक 6 प्रतिशत की दर से ब्याज भी देना होगा। कोर्ट ने कहा यदि प्रतिवादियों के बीच कोई स्पष्टीकरण आवश्यक है तो वह भी इसी अवधि के भीतर किया जाए।