BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में संपत्ति विवाद के मामले में याचिका दायर की गई। याचिका की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी व जस्टिस रजनी दुबे की डिवीजन बेंच में हुई। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की अपील को खारिज करते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की संशोधित धारा छह संशोधन से पहले या बाद में पैदा हुई बेटी को बेटे के समान अधिकारों का दर्जा दिया गया है। मामला संपत्ति विवाद का है जहां पर एक भाई ने बिना अपने बहनों व भाई को बताए जमीन का सौंदा कर दिया।
बता दें, संपत्ति की बिक्री के बाद बेटे व बेटियों ने अपना दावा पेश करते हुए ट्रायल कोर्ट में याचिका पेश की थी। मामले की सुनवाई के बाद निचली अदालत ने याचिका को स्वीकार करते हुए पूर्व में की गई बिक्री को शून्य घोषित कर दिया था। ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए खरीदार तुलाराम पटेल ने हाईकोर्ट में अपील पेश की थी।
वादी बुधेश्वर नायक एवं अन्य ने तुलाराम पटेल द्वारा दायर सिविल सूट को चुनौती दी थी। ट्रायल कोर्ट ने तुलाराम की अपील को खारिज कर दिया था। तुलाराम पटेल ने स्थायी निषेधाज्ञा के लिए मुकदमा दायर किया था और बुधेश्वर नायक और अन्य ने बिक्री विलेख को रद करने की मांग को लेकर याचिका पेश की थी। चूंकि संपत्ति आपस में एक ही थी इसलिए एक सामान्य निर्णय और डिक्री द्वारा दोनों मुकदमों का फैसला करने का निर्णय कोर्ट ने किया है।
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ये है पूरा मामला
बुधेश्वर नारक और अन्य ने अतिरिक्त जिला न्यायाधीश बिलासपुर के समक्ष वाद दायर कर कहा कि मेहरचंद नायक बुधेश्वर के पिता द्वारा तुलाराम के पक्ष में एक विक्रय पत्र निष्पादित किया गया है। मेहरचंद नायक के पास बिक्री विलेख निष्पादित करने का विशेष अधिकार नहीं था। तुलाराम पटेल जो वाद भूमि के क्रेता थे निषेधाज्ञा के लिए वाद दायर कि उन्होंने वाद भूमि को पंजीकृत छह विक्रय विलेख द्वारा खरीदा है। इसलिए विक्रेता या उनके उत्तराधिकारियों को कब्जे में हस्तक्षेप करने का आदेश दिया जाए।
बुधेश्वर नायक एवं अन्य ने कहा कि तुलाराम पटेल ने मेहरचंद नायक को रजिस्ट्रार कार्यालय ले गए और धोखाधड़ी से बिक्री विलेख पर हस्ताक्षर करा लिया है। भूमि स्वामियों का कहना था कि मेहरचंद नायक ही अकेले जमीन के मालिक नहीं थे। यह पूर संपत्ति उनके पिता से मिली थी। उक्त संपत्ति के हम सब दावेदार है। वर्ष 1975 में संपत्ति का विभाजन हुआ। दस्तावेज प्रस्तुत कर बताया गया कि भूमि मेहरचंद की कमाई की नहीं बल्कि पिता से प्राप्त है और स्वअर्जित संपत्ति नहीं है।
मेहरचंद नायक के पास बिक्री विलेख निष्पादित करके संपत्ति को अलग करने का कोई अधिकार नहीं हैं। तुलाराम पटेल ने 15 लाख 64 हजार 7 सौ रुपये की बिक्री का भुगतान नकद करने की जानकारी कोर्ट को दी। इस संबंध में ठोस सबूत पेश नहीं कर पाया। कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही मानते हुए अपील को खारिज कर दी। वास्तविक भूमि स्वामियों के कब्जे में उक्त जमीन देने का निर्देश दिया है। बुधेश्वर नायक, गायत्री नायक, भरतलाल नायक, कुमारी संजना नायक, अंकित नायक के पक्ष में फैसला सुनाया।